शनिश्चरी अमावस्या पर साल का आखिरी सूर्य ग्रहण आज, ग्रहण का प्रभाव नहीं, स्नान-दान के लिए पूरा दिन शुभ

शनिश्चरी अमावस्या पर भगवान विष्णु महादेव शनिदेव व हनुमानजी की पूजा की जाएगी। वर्ष का आखिरी सूर्य ग्रहण में भी इसी खास मौके पर रहेगा। हालांकि भारत में दिखाई नहीं देने की वजह से ग्रहण का सूतक व धार्मिक महत्व नहीं रहेगा।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 07:48 AM (IST) Updated:Sat, 04 Dec 2021 07:48 AM (IST)
शनिश्चरी अमावस्या पर साल का आखिरी सूर्य ग्रहण आज, ग्रहण का प्रभाव नहीं, स्नान-दान के लिए पूरा दिन शुभ
अगले वर्ष 30 अप्रैल 2022 को शनैश्चरी अमावस्या का संयोग बनेगा।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : चार दिसंबर को शनिश्चरी अमावस्या है। अमावस्या पर स्नान-दान के अलावा पितरों के निमित्त श्राद्ध करने की परंपरा है। शनिश्चरी अमावस्या पर भगवान विष्णु, महादेव, शनिदेव व हनुमानजी की पूजा की जाएगी। वर्ष का आखिरी सूर्य ग्रहण में भी इसी खास मौके पर रहेगा। हालांकि भारत में दिखाई नहीं देने की वजह से ग्रहण का सूतक व धार्मिक महत्व नहीं रहेगा। श्री महादेव गिरि संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डा. नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि शनिवार को वृश्चिक राशि में चतुर्ग्रही योग बन रहा है। वृश्चिक राशि में सूर्य, चंद्र, बुध व केतु की मौजूदगी रहेगी। इस युति में किया स्नान, दान कई गुना फल देने वाला रहेगा। इसके लिए पूरे दिन शुभ रहेगा। अगले वर्ष 30 अप्रैल 2022 को शनैश्चरी अमावस्या का संयोग बनेगा। 

पीपल पूजा व दीपदान का महत्व 

ज्योतिषाचार्य डा. गोपाल दत्त त्रिपाठी ने बताया कि शनि अमावस्या के दिन पीपल की पूजा करनी चाहिए। दूध में जौ, तिल, चावल व गंगाजल मिलाकर पीपल में चढ़ाएं और दीपक जलाएं। पीपल को जल चढ़ाने के बाद उसकी परिक्रमा करनी चाहिए। 

जरूरतमंदों को उपयोगी सामान दान करें 

शनि अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा सफेद अपराजिता व शनिदेव की पूजा नीले फूलों से करनी चाहिए। इसके बाद तिल के तेल का दीपक लगाएं। ऐसा करने से दुश्मनों पर जीत मिलती है और परेशानियां कम होती हैं। इस दिन श्रद्धा के अनुसार जरूरतमंद लोगों को दान देने की भी परंपरा है।

ग्रहण का धार्मिक महत्व नहीं रहेगा 

ज्योतिषाचार्य मंजू जोशी ने बताया कि अमावस्या के दिन साल का आखिरी सूर्य ग्रहण भी पड़ रहा है। लोग पसोपेश में है कि इस दिन मंदिरों में पूजा-दर्शन और अन्य शुभ काम होंगे या नहीं। सूर्य ग्रहण भारत में नहीं होने से इसका धार्मिक महत्व भी नहीं रहेगा। मंदिरों के पट आम दिनों की तरह ही खुले रहेंगे। भक्तों के स्नान-दान या देव दर्शन में किसी तरह की अड़चन नहीं आएगी।

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