नैनीताल में ठंडी सड़क पर फिर दरकी पहाड़ी, हॉस्टल के आंगन में दो मीटर की उभरीं दरारें
सरोवर नगरी में बुधवार को मूसलधार बारिश ने फिर मुसीबत खड़ी कर दी। तीन घंटे की बारिश से जहां सड़कें जलमग्न हो गईं। वहीं ठंडी सड़क क्षेत्र में फिर भूस्खलन हो गया। इससे 12 दिनों से लोनिवि की ओर से किया जा रहा ट्रीटमेंट कार्य भरभराकर झील में समा गया।
जागरण संवाददाता, नैनीताल : सरोवर नगरी में बुधवार को मूसलधार बारिश ने फिर मुसीबत खड़ी कर दी। तीन घंटे की बारिश से जहां सड़कें जलमग्न हो गईं। वहीं, ठंडी सड़क क्षेत्र में फिर भूस्खलन हो गया। इससे 12 दिनों से लोनिवि की ओर से किया जा रहा ट्रीटमेंट कार्य भरभराकर झील में समा गया। इस भूस्खलन से कुमाऊं विवि के डीएसबी परिसर के केपी हॉस्टल की सुरक्षा दीवार व आंगन में दो मीटर तक बड़ी-बड़ी दरारें उभर आई हैं, जिससे इसे खतरा और बढ़ गया है।
21 जुलाई को ठंडी रोड स्थित पाषाण देवी मंदिर के समीप की पहाड़ी पर पहली बार भूस्खलन हुआ था। 30 अगस्त को पहाड़ी पर एक बार फिर भारी भूस्खलन हुआ, जिससे भारी मलबा, पेड़ और बोल्डर ठंडी सड़क के साथ ही झील में समा गए। इसके बाद यहां पर लोगों के लिए आवाजाही बंद कर दी गई। डीएम धीराज गब्र्याल के निर्देश पर नौ सितंबर को लोनिवि ने पहाड़ी की रोकथाम को लेकर अस्थायी ट्रीटमेंट शुरू किया, मगर बुधवार को भारी बारिश के बाद पानी का रिसाव पहाड़ी की ओर हुआ तो फिर भूस्खलन हो गया, जिसमें उपचार के लिए लगाई गई जियो बैग की दीवार पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई और लोहे के एंगल भी टेढ़े हो गए।
पानी की निकासी नहीं होना भी बन रहा कारण
हॉस्टल में बारिश के पानी की निकासी की कोई व्यवस्था नहीं होना भी भूस्खलन का कारण बन रहा है। बुधवार को भारी बारिश के बाद छत से टपकता पानी भूस्खलन वाले क्षेत्र में ही बहता रहा, जिस कारण खतरा और बढ़ गया।
पेड़ का वजन भी बना है खतरा
पहाड़ी पर 30 अगस्त को हुए भूस्खलन के बाद हॉस्टल की ओर बांज के बड़े पेड़ नीचे को झुक गए थे। लोनिवि ने इन पेड़ों का काटने का सुझाव दिया था, मगर इसे नहीं काटा गया। पेड़ नहीं कटने से झुके हुए पेड़ मलबे के साथ गिर गए, जिससे भूस्खलन हॉस्टल तक जा पहुंचा है। अब भवन के ठीक बगल में खड़ा विशाल बांज के पेड़ की जड़ें नीचे से खाली हो गई हैं। डीएसबी परिसर के डीएसडब्लू प्रो. डीएस बिष्टï ने बताया कि अगस्त में ही जिला प्रशासन से पेड़ कटवाने की मांग की जा चुकी है।