पिथौरागढ़ में प्रस्तावित उत्तराखंड के पहले बंदरबाड़े के लिए मिली जमीन, पांच करोड़ से होगा निर्माण
सीमांत जिले पिथौरागढ़ में उत्तराखंड के पहले बंदरबाड़े के निर्माण की कवायद शुरू हो गई है। इसके लिए 8.66 एकड़ भूमि का चयन कर लिया गया है। दो अलग-अलग हिस्सों में स्थित इस भूमि के समतलीकरण का कार्य वन विभाग ने शुरू कर दिया है।
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़ : सीमांत जिले पिथौरागढ़ में उत्तराखंड के पहले बंदरबाड़े के निर्माण की कवायद शुरू हो गई है। इसके लिए 8.66 एकड़ भूमि का चयन कर लिया गया है। दो अलग-अलग हिस्सों में स्थित इस भूमि के समतलीकरण का कार्य वन विभाग ने शुरू कर दिया है। बंदरबाड़े के निर्माण में करीब पांच करोड़ की धनराशि खर्च होगी।
सीमांत जिले पिथौरागढ़ में बंदरों की बढ़ती तादात लोगों के लिए खासकर काश्तकारों के लिए बड़ी समस्या बनी हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों बंदर फसल, फल, सब्जी बर्बाद कर रहे हैं। बंदरों के आतंक के चलते काश्तकारों ने उत्पादन सीमित कर दिया है। जिले के लोग लंबे समय से बंदरों की समस्या से निजात दिलाए जाने की मांग कर रहे हैं। इस समस्या को देखते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री ने पिथौरागढ़ में बंदरबाड़ा बनाए जाने की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री की घोषणा में शामिल इस योजना पर काम शुरू हो गया है।
पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय के नजदीक चंडाक क्षेत्र को बंदरबाड़े के लिए चुना गया है। मैग्नेसाइट से लगी वन विभाग की भूमि के साथ ही जेल बैंड से धारी गांव के लिए निर्माणाधीन सड़क से लगे भूमि को इसके लिए चयनित किया गया है। 8.66 हेक्टेयर भूमि पर बनने वाले इस बंदर बाड़े के लिए मैग्नेसाइट से लगी भूमि के समतलीकरण और चहारदीवारी का कार्य शुरू कर दिया गया है।
इस भूमि पर बंदरों के लिए अस्पताल के साथ ही बाड़े के लिए तैनात किए जाने वाले कर्मचारियों के आवास और प्रशासनिक भवन बनेंगे। बंदरों को जेल बैंड-धारी जोशी सड़क से लगी भूमि में रखा जाएगा। जहां विभिन्न प्रजाति के फलों का बगीचा तैयार होगा। बंदर बाड़े के लिए केंद्रीय चिडिय़ाघर प्राधिकरण की अनुमति जरू री है। वन विभाग ने इसका प्रस्ताव प्राधिकरण को भेज दिया है। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही प्रस्ताव को स्वीकृति मिल जाएगी।
वन क्षेत्राधिकारी दिनेश ने बताया कि बंदर बाड़ा निर्माण के लिए प्रारंभिक कार्य शुरू कर दिया गया है। मैग्नसाइट फैक्ट्री क्षेत्र से लगी वन विभाग की भूमि पर अस्पताल आदि बनाने के लिए भूमि का समतलीकरण और चाहरदीवारी की जा रही है। केंद्रीय चिडिय़ाघर प्राधिकरण से स्वीकृति का इंतजार किया जा रहा है।