कोसी नदी की बाढ़ ने चुकुम के ग्राीमणों का तीन दिन से अलग-थलग किया

लंबे समय से विस्थापन की उम्मीद पाले चुकुम गांव के ग्रामीणों के लिए बारिश फिर आफत बनकर आई है। कोसी नदी की बाढ़ ने ग्रामीणों को घर मे ही कैद कर दिया है। तीन दिन से ग्रामीणों का शहर से पूरी तरह संपर्क कटा हुआ है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 03:56 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 03:56 PM (IST)
कोसी नदी की बाढ़ ने चुकुम के ग्राीमणों का तीन दिन से अलग-थलग किया
कोसी नदी की बाढ़ ने चुकुम के ग्राीमणों का तीन दिन से अलग-थलग किया

रामनगर, जागरण संवाददाता : लंबे समय से विस्थापन की उम्मीद पाले चुकुम गांव के ग्रामीणों के लिए बारिश फिर आफत बनकर आई है। कोसी नदी की बाढ़ ने ग्रामीणों को घर मे ही कैद कर दिया है। तीन दिन से ग्रामीणों का शहर से पूरी तरह संपर्क कटा हुआ है। एेसे में उनके दैनिक जरूरतों को भी पूरा करने में मुश्किलें आ रही हैं।

रामनगर से 25 किलोमीटर दूर चुकुम राजस्व गांव के ठीक सामने घना जंगल तो पीछे कोसी नदी बहती है। कई बार बरसात गांव में कहर बरपाती है।किसी का घर टूटता है तो किसी का खेत बहता है। ग्रामीण 1995 से विस्थापन की मांग कर रहे है। लेकिन आज तक उनकी मांग पूरी नही हुई। गांव में जाने के लिए कोसी नदी ही एकमात्र ग्रामीणों का रास्ता है।शुक्रवार से उत्तराखंड में बारिश हो रही है, और कोसी नदी अपने उफान पर है। ऐसे में ग्रामीणो का बाहर आना जाना गांव में पूरी तरह बाधित हो गया है।

गांव के लोगों का सड़क से पूरी तरह संपर्क कट गया है। इस बीच गांव में किसी की तबीयत खराब होने पर भी उसे हॉस्पिटल नहीं लाया जा सकता है।गांव की इस समस्या से ग्रामीण काफी समय से जूझ रहे हैं। हालांकि रविवार को प्रशासन गांव के लोगों से बराबर संपर्क में रहा। इसके अलावा पुलिस बराबर नदी के बहाव पर नजर रखे हुए हैं। रविवार को भी ग्रामीणों को नदी का बहाव कुछ कम होने की उम्मीद थी, लेकिन देर शाम भी बहाव कम नहीं हुआ। मंगलवार तक बहाव कम होने की उम्मीद जताई जा रही है। गांव की प्रधान सीमा आर्य ने बताया कि गांव के लोग कोसी नदी में बाढ़ से डरे हुए है। सरकार को ग्रामीणों का विस्थापन करना चाहिए।

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