जिम कॉर्बेट से लेकर बर्फीले मुक्तेश्वर तक किंग कोबरा का वास, फिर भी आज तक किसी इंसान को नहीं डसा

नार्थ इंडिया में नैनीताल जिले में सबसे अधिक मौजूदगी के बावजूद आज तक किंग कोबरा ने एक भी इंसान को नुकसान नहीं पहुंचाया है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Tue, 12 Nov 2019 11:27 AM (IST) Updated:Wed, 13 Nov 2019 12:51 PM (IST)
जिम कॉर्बेट से लेकर बर्फीले मुक्तेश्वर तक किंग कोबरा का वास, फिर भी आज तक किसी इंसान को नहीं डसा
जिम कॉर्बेट से लेकर बर्फीले मुक्तेश्वर तक किंग कोबरा का वास, फिर भी आज तक किसी इंसान को नहीं डसा

हल्द्वानी, गोविंद बिष्ट : सांप सामने देखते ही लोगों के पसीने छूटने लगते हैं। बात अगर किंग कोबरा की हो तो डर और बढ़ जाता है। नार्थ इंडिया में नैनीताल जिले में सबसे अधिक मौजूदगी के बावजूद आज तक किंग कोबरा ने एक भी इंसान को नुकसान नहीं पहुंचाया है। बल्कि यह उन जहरीले सांपों को खुराक बनाता है, जो आबादी में घुसकर लोगों की जान लेते हैं। इसलिए इनकी मौजूदगी और संरक्षण पर वन महकमा विस्तृत रिसर्च कर रहा है। समुद्र तल से 2200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मुक्तेश्वर से लेकर मैदान में कॉर्बेट नेशनल पार्क तक में इनके घोंसले मिले हैं।

उत्तराखंड में सांपों की कई प्रजातियां मिलती हैं। इनमें सबसे जहरीला किंग कोबरा है। चीन सीमा से लगे मुनस्यारी और पिथौरागढ़ में भी इसकी मौजूदगी मिली है, लेकिन नैनीताल जिले में संख्या ज्यादा है। इस वजह से वन अनुसंधान केंद्र शोध में जुटा है। वन विभाग इसे पारिस्थितिकी तंत्र का अहम हिस्सा मानता है। क्योंकि 12 फीट लंबा कोबरा ज्यादातर सांपों को ही अपना निवाला बनाता है। वाइपर, करैत जैसे सांप आबादी में दस्तक देकर लोगों को नुकसान पहुंचाते हैं। यही सांप किंग कोबरा का मुख्य आहार है। अपवाद स्वरूप यह गौह (लीजर्ड) भी खाता है। किंग कोबरा कहां-कहां अपना प्रवास बनाता है। उसे किन चीजों से खतरा है और संरक्षण को क्या नीति बनाई जाए, इन तीन अहम बिंदुओं को शोध में शामिल किया गया है। इसे चीड़ या बांज दोनों में से कौन सा जंगल ज्यादा पंसद है। इसका भी पता लगाया जा रहा है।

मई-जून में घोंसलों पर खतरा

फरवरी से प्रदेश में फायर सीजन शुरू होते ही हरियाली पर खतरा बढ़ जाता है। मई और जून में सबसे ज्यादा जंगल सुलगते हैं। जंगलों में घोंसला बनाने वाला किंग कोबरा इस दौरान सबसे ज्यादा खतरे में रहता है। संरक्षण में वनाग्नि बड़ी बाधा है।

छह से आठ हफ्ते अंडे सेकती है मादा

किंग कोबरा सांपों की एक मात्र प्रजाति है जो घोंसला बनाकर रहता है। अंडा देने के छह से आठ सप्ताह तक मादा कोबरा उन पर बैठ जाती है। यह घोंसला पिरूल या घास-फूस से बना गुंबदनुमा आकार का होता है।

नार्थ इंडिया में नैनीताल में ज्यादा किंग कोबरा

किंग कोबरा नार्थ इंडिया के मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, यूपी, दिल्ली में भी पाया जाता है। उत्तराखंड में प्रारंभिक सर्वे के दौरान इस बात के प्रमाण मिले हैं कि नैनीताल जनपद में इनकी संख्या इन पांच राज्यों के मुकाबले ज्यादा है। शोध पूरा होने पर सही आंकड़ा सामने आ जाएगा। दक्षिण भारत के पश्चिमी घाट वाले इलाकों के अलावा उत्तर-पूर्वी राज्यों में भी किंग कोबरा अच्छी संख्या में है।

सांप है किंग कोबरा का आहार

संजीव चतुर्वेदी, वन संरक्षक (अनुसंधान) उत्तराखंड ने बताया कि किंग कोबरा का मुख्य आहार सांप है। जनपद में इनके कभी इंसानों को डसने का मामला सामने नहीं आया। इनके व्यवहार, आवास, भोजन श्रृंखला आदि पर रिसर्च चल रहा है। पारिस्थितिकी तंत्र का यह अहम हिस्सा है।

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