किडनी डोनर आशा व किडनी रिसीवर अभिनव आज हो जाएंगे एक दूसरे के, प्रेरित करती है इनकी कहानी
अंगदान को लेकर समाज में कई तरह की भ्रांतियां हैं। जिस कारण लोग अंगदान के लिए आगे नहीं आ पाते। भ्रांतियों के बादल छंटे और मानवता की मिसाल कायम हो इसके लिए आशा व अभिनव प्रेरणा बनकर आगे आए हैं।
गणेश पांडे, हल्द्वानी : अंगदान को लेकर समाज में कई तरह की भ्रांतियां हैं। जिस कारण लोग अंगदान के लिए आगे नहीं आ पाते। भ्रांतियों के बादल छंटे और मानवता की मिसाल कायम हो, इसके लिए आशा व अभिनव प्रेरणा बनकर आगे आए हैं। किडनी डोनर आशा व किडनी रिसीवर अभिनव शुक्रवार को दशहरे के मौके पर सात फेरे लेकर एक-दूजे के हो जाएंगे।
मूल रूप से पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी निवासी आशा दास्पा का परिवार अब हल्द्वानी के कठघरिया में रहता है। पिता राजेंद्र सिंह दास्पा लोनिवि से सेवानिवृत्त और मां भगवती देवी गृहिणी हैं। आशा ने आठ वर्ष पहले अपने भाई हीरा दास्पा को किडनी दी थी। फार्मा कंपनी में काम कर चुकी आशा वर्तमान में घर पर हैं।
अभिनव पांगती का परिवार पिथौरागढ़ जिले के डीडीहाट का रहने वाला है। अभिनव को उनकी बहन दीपा पांगती दो वर्ष पहले किडनी प्रदान कर चुकी हैं। अभिनव के पिता डीएस पांगती का अपना व्यवसाय है। 32 वर्षीय आशा ने कहा कि आमतौर पर यह धारणा रहती है कि अंग प्रदान व प्राप्त करने वाले से दूसरे लोग रिश्ता करने से बचना पसंद करते हैं। जबकि वह सामान्य व्यक्ति की तरह जीवन जी सकते हैं। आशा-अभिनव ने कहा कि उनका रिश्ता समाज में सकारात्मक संदेश देगा।
इस तरह दोनों परिवार जुड़े
आशा के भाई हीरा दास्पा ने बताया कि वह चंडीगढ़ में कार्यरत ट्रांसकेयर नाम की संस्था से जुड़े हैं। संस्था लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित करने के साथ अंगदान करने वालों की देखरेख आदि काम करती है। अंग प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डा. प्रियदर्शी रंजन संस्था के निदेशक हैं। हीरा ने बताया कि उनका व अभिनव का किडनी प्रत्यारोपण डा. रंजन ने किया। उनका अभिनव से परिचय था। बाद में दोनों परिवारों के बीच रिश्ते की बात चली। दूल्हा-दुल्हन व दोनों परिवारों ने रिश्ते को स्वीकार किया। शुक्रवार को हल्द्वानी में विवाह समारोह संपन्न होगा।