16 से खरमास, मांगलिक कार्यों पर रहेगा ब्रेक, 14 जनवरी से फिर बजेगी सहनाई
खरमास 16 दिसंबर रविवार प्रात: नौ बजकर आठ मिनट पर सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही प्रारंभ हो जाएगा, जो 14 जनवरी सोमवार मकर संक्रांति तक रहेगा।
रुद्रपुर, जेएनएन : खरमास 16 दिसंबर रविवार प्रात: नौ बजकर आठ मिनट पर सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही प्रारंभ हो जाएगा, जो 14 जनवरी सोमवार मकर संक्रांति तक रहेगा। एक माह की इस अवधि में मांगलिक कार्यों पर ब्रेक रहेगा। नया वाहन, जमीन-जायदाद खरीदना, मुंडन आदि शुभ कार्य भी नहीं होंगे।
14 जनवरी 2019 को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही यह स्थिति समाप्त हो जाएगी। वैदिक ज्योतिष में गुरु को समस्त शुभ कार्यों का प्रतिनिधि ग्रह माना गया है। सूर्य जब गुरु की राशि धनु और मीन में प्रवेश करते हैं तो इससे गुरु निस्तेज हो जाते हैं। विवाह के लिए सूर्य और गुरु दोनों का मजबूत होना आवश्यक होता है। इसलिए शुभ कार्यों पर प्रतिबंध लग जाता है। पंचाग के अनुसार खरमास में किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। खरमास वर्ष में दो बार लगता है। किसी भी शुभ कार्य के लिए त्रिबल शुद्धि की आवश्यकता होती है। इसमें सूर्य, चंद्रमा व बृहस्पति का बल देखा जाता है। खरमास में सूर्य व बृहस्पति का बल समाप्त हो जाता है। जब सूर्य मीन राशिगत रहता है और दूसरी बार सूर्य के धनु राशि गमन की स्थिती में। एक चैत्र मास और दूसरा खरमास पौष में लगता है। इस पूरी अवधि में बृहस्पति ग्रह अस्त हो जाता है।
खरमास में क्या न करें
खरमास के दौरान सगाई, विवाह, नए घर में प्रवेश, वाहन खरीदना, मांगलिक कार्य, कोई नई वस्तु की खरीदारी के साथ ही भवन निर्माण कार्य भी प्रारंभ नहीं किया जाता।
खरमास में क्या करें
खरमास के आराध्य देव भगवान विष्णु हैं। इसलिए इस माह में भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए। खरमास में आने वाले दोनों एकादशियों का भी विशेष महत्व होता है। इसमें व्रत रखकर विधि-विधान से भगवान विष्णु का पूजन करने से समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। इस दौरान प्रात: काल सूर्य को अघ्र्य देने के साथ तुलसी व पीपल अर्पित करना चाहिए। पीपल वृक्ष में नियमित जल व कच्चा दूध अर्पित करने से धन सहित सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
14 जनवरी तक रहेगा खरमास
स्वामी श्रीनारायण चैतन्य महाराज, मंदिर मनकामेश्वर कल्याण आश्रम देवपुरी ने बताया कि खरमास 16 दिसंबर रविवार से प्रारंभ होकर 14 जनवरी सोमवार की सुबह तक रहेगा। इस अवधि तक शास्त्रों में विवाह सहित सभी शुभ कार्य करना निषेध माना गया है। इस अवधि में सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु की आराधना व मंत्र का जप तुलसी की माला से करें।
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