केमू की आठ बसों को पहले दिन मिली सिर्फ 50 सवारी, फुल सवारी नियम पर 39 दिन बाद चली गाड़ियां
सुबह से शाम तक बस स्टेशन से आठ गाडिय़ां ही रवाना हो सकी। जिसमें करीब 50 सवारी बैठी। ऐसे में पर्वतीय रूट पर डीजल औसत निकलना भी मुश्किल हो रहा है। केमू संचालकों का कहना है कि सवारियों की उपलब्धता के हिसाब से बसों का संचालन और नंबर लगाया जाएगा।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : 39 दिन की हड़ताल के बाद गुरुवार से केमू बसों का संचालन शुरू हो गया। हालांकि, पहले दिन सवारियों की कमी के कारण गाड़ी मालिक मायूस दिखे। सुबह से शाम तक बस स्टेशन से आठ गाडिय़ां ही रवाना हो सकी। जिसमें करीब 50 सवारी बैठी। ऐसे में पर्वतीय रूट पर डीजल औसत निकलना भी मुश्किल हो रहा है। इसलिए केमू संचालकों का कहना है कि सवारियों की उपलब्धता के हिसाब से बसों का संचालन और नंबर लगाया जाएगा।
कोविड कफ्र्यू के दौरान जब शासन ने परिवहन को लेकर 50 प्रतिशत सवारियां लेकर जाने की एसओपी जारी की तो केमू ने संचालन बंद कर दिया था। करीब 39 दिन तक पूर्ण हड़ताल रही। और कुमाऊं में 350 बसें खड़ी हो गई। जिसके बाद टैक्सी और रोडवेज सहारा बनी। लेकिन टैक्सी का भाड़ा ज्यादा और रोडवेज की पहाड़ पर हर जगह उपस्थिति नहीं होने के कारण यात्री परेशान दिखे। वहीं, फुल सवारी बैठाने का आदेश आने पर केमू का संचालन शुरू हो गया। लेकिन पहले दिन अल्मोड़ा, बागेश्वर, शहरफाटक आदि मार्ग पर सिर्फ 50 सवारी ही मिली। अब गाड़ी मालिक वापसी में सवारी मिलने को लेकर उम्मीद लगाए गए बैठे हैं।
वहीं, केमू अध्यक्ष सुरेश डसीला ने कहा कि स्थिति बेहद खराब है। इसलिए किराया दर बढऩी चाहिए। बसों का करीब डेढ़ महीने बाद संचालन तो शुरू हो गया पर महामारी के चलते सवारियों का निकलना मुश्किल है। इससे बसों का डीजल का दाम निकलना भी नहीं हो पा रहा है। यदि पाबंदी जल्द नहीं हटेगी तो लंबी अवधि तक बसों का संचालन नहीं हो सकेगा। बड़ा घाटा सहकर इसे नहीं चलाया जा सकेगा। साथ ही सवारियों को अाधा बैठाने की एसओपी में भी संसोधन करना होगा। जिससे कि अधिक सवारियों को बैठने की सुविधा हो। हालांकि संक्रमण की तीसरी लहर को देखते हुए हाल फिलहाल में यह संभव होता नहीं दिख रहा है।
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