चम्पावत की कविता तिवारी ने अपने बल पर हरी-भरी कर डाली 20 नाली बंजर जमीन
दो माह में उन्होंने सुबह-शाम अकेले कुदाल से जमीन खोद पांच खेत तैयार कर उनमें सब्जी के पौधे लगाए। अनुभव बढ़ा तो 20 नाली जमीन को आबाद करने का मन बनाया और पावर ट्रिलर खरीद लिया। जून के पहले पखवाड़े तक 20 नाली बंजर भूमि की जुताई कर ली।
विनोद चतुर्वेदी, चम्पावत। इरादे बुलंद हों तो हर मुश्किल सफलता की राह लेकर आती है। ऐसे लोगों के लिए कोरोनाकाल भले ही चुनौती बनकर आया, लेकिन उन्होंने अपने संकल्प को पूरा करने के लिए हौसलों की उड़ान को विश्राम नहीं दिया। ऐसे ही लोगों में शामिल चम्पावत की कविता तिवारी ने लाकडाउन के दौरान 20 नाली बंजर भूमि को अपने बूते आबाद कर दिखाया। उनका परिश्रम सोना बनकर चमकने लगा है। वर्तमान में उनके खेतों में आलू के साथ शिमला मिर्च, गोभी, बैगन, भिंडी, टमाटर आदि की लहलहा रही फसल अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणास्रोत बनी है।
मूल रूप से त्यारकुड़ा गांव निवासी 41 वर्षीय कविता अपने परिवार के साथ चम्पावत बाजार में रहती हैं, जहां वह अपने पति प्रकाश तिवारी की मिठाई के व्यवसाय में हाथ बंटाती हैं। गत वर्ष कोरोनाकाल के दौरान लगे लाकडाउन में उन्होंने अपनी दुकान के पास पड़ी बंजर जमीन को आबाद करने के लिए श्रम किया। दो माह में उन्होंने सुबह-शाम अकेले कुदाल से जमीन खोद पांच खेत तैयार कर उनमें सब्जी के पौधे लगाए। अनुभव बढ़ा तो 20 नाली जमीन को आबाद करने का मन बनाया और पावर ट्रिलर खरीद लिया। इसकी मदद से इस वर्ष जनवरी तक आठ नाली बंजर भूमि पर सब्जी उत्पादन किया।
जून के पहले पखवाड़े तक 20 नाली बंजर भूमि की जुताई भी पूरी कर ली। इसमें से 10 नाली रकबे में उन्होंने पहले सीजन में आलू, शिमला मिर्च, गोभी, बैगन, तुरई, छप्पन कद्दू्र, भिंडी, धनिया के साथ चना, मूंगफली और चुकंदर की खेती की। दूसरे सीजन में भी सारी सब्जियां तैयार हो रही हैं। इस बार कविता ने पांच क्विंटल आलू खोद लिए हैं। जबकि तीन क्विंटल के लगभग खोदाई की जानी है। इस पुरुषार्थ के बल पर वह पूरे नगर में चर्चा का विषय बनी हैं। उनकी देखादेखी कई अन्य लोगों ने भी अपने घरों के आसपास खाली जमीन पर किचन गार्डन तैयार करना शुरू कर दिया है।
बच्चों का भी जोड़ रही मिट्टी से नाता
कविता के एक बेटा तथा दो बेटी हैं, जो दिल्ली में रहकर पढ़ाई करते हैं। लाकडाउन के बाद घर आए बच्चों को भी वह खेती-बाड़ी के तौर-तरीके सिखा रही हैं। उनके बेटी किरन तिवारी, हिमानी तिवारी और बेटा हार्दिक तिवारी आनलाइन पढ़ाई से समय निकाल उनके साथ खेतों में काम करते हैं।
चुकंदर और मक्का की हो रही अच्छी खेती
गर्म इलाकों की फसल होने के कारण जिले में लोग चुकंदर और मक्का की खेती नहीं करते। कविता ने बताया कि उन्होंने ट्रायल के लिए चुकंदर व पॉपकार्न मक्का का बीज बोया तो अच्छी पैदावार हुई। मूंगफली और चने की भी उनके खेतों में अच्छी पैदावार हो रही है।
खाली पड़ी जमीन में करें सब्जी उत्पादन
कविता ने बताया कि अधिकांश सब्जियां उनके खेतों में पैदा हो रही हैं। वह आसपड़ोस के लोगों को भी ताजा सब्जी खिला रही हैं। उन्होंने लोगों से अपने घर के आसपास खाली जगह पर सब्जी उत्पादन करने की अपील की है।
कर रही हैं बागवानी भी
आबाद की गई 20 नाली जमीन के पांच नाली हिस्से में उन्होंने बागवानी भी तैयार की है। पहले चरण में सेब के पौधे लगाए हैं। माल्टा, संतरा, अंगूर, नाशपाती, पुलम, आडू व खुबानी के पौधे भी लगाएंगी।