कारगिल शहीद की पत्नी उमा ने कहा, बेटे को आर्मी ऑफिसर बनाकर लौटूंगी गांव NAINITAL NEWS

कारगिल शहीद नायक मोहन सिंह की पत्नी उमा देवी देश भक्ति से ओतप्रोत हैं। वह बेटे को आर्मी ऑफिसर बनाने के लिए जद्दोजहद कर रही हैं। इसके लिए उन्हें गांव भी छोडऩा पड़ा।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Fri, 26 Jul 2019 01:10 PM (IST) Updated:Fri, 26 Jul 2019 01:10 PM (IST)
कारगिल शहीद की पत्नी उमा ने कहा, बेटे को आर्मी ऑफिसर बनाकर लौटूंगी गांव NAINITAL NEWS
कारगिल शहीद की पत्नी उमा ने कहा, बेटे को आर्मी ऑफिसर बनाकर लौटूंगी गांव NAINITAL NEWS

बागेश्वर, घनश्याम जोशी : कारगिल शहीद नायक मोहन सिंह की पत्नी उमा देवी देश भक्ति से ओतप्रोत हैं। वह बेटे को आर्मी ऑफिसर बनाने के लिए जद्दोजहद कर रही हैं। इसके लिए उन्हें गांव भी छोडऩा पड़ा। कहतीं हैं कि देश सेवा के लिए युवाओं को तत्पर रहना होगा। शहीदों के परिवारों के लिए होने वाली घोषणाएं पूरी होनी चाहिए।

कपकोट तहसील के कर्मी गांव निवासी शहीद नायक मोहन सिंह 1999 में कारगिल में शहीद हो गए। वे अपने पीछे छोटे-छोटे तीन बच्चे और पत्नी उमा देवी को रोता-बिलखता छोड़ गए, लेकिन उमा ने हार नहीं मानी। बच्चों की बेहतर पढ़ाई की खातिर वह गांव से निकल पड़ी और हल्द्वानी को अपना मुकाम बनाया। उमा कहतीं हैं कि पति की याद कभी दिलों-दिमाग से भुला नहीं सकती हैं, लेकिन उन्हें गर्व है कि उनकी पहचान शहीद के परिवार के नाम से है। वह अपने बेटे प्रहलाद सिंह को आर्मी ऑफिसर बनते देखना चाहती हैं। प्रहलाद ने स्नातक की पढ़ाई पूरी की है और अब सीडीएस की कोचिंग कर रहा है। जबकि बड़ी बेटी रंजना की शादी हो गई है और छोटी बेटी मिताली एमफार्मा कर रही है।

गांव छोडऩे की टीस

शहीद की पत्नी उमा देवी को कर्मी गांव छोडऩे की टीस है। पति के शहीद होने के बाद देवर गोपाल भी गांव छोड़कर कपकोट आ गए और गांव का घर वीरान हो गया। गांव की हरियाली और पति के अवकाश पर घर आने की खुशी वह कभी भुला नहीं सकती हैं। बच्चों को मुकाम तक पहुंचाना उनका लक्ष्य है और वह फिर माटी की तरफ लौटेंगी। कहा कि शहीद के परिवार के कम से कम एक सदस्य को सरकारी नौकरी सरकार ने देनी चाहिए।

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