म‍िसाल: लॉकडाउन में छूटी नौकरी, गांव लौटे तो फूड वैन से शुरू क‍िया खुद का रोजगार

लॉकडाउन में दो हजार किलोमीटर दूर से वापस गांव को वापसी हुई तो फिर खुद का ही रोजगार शुरू करने की ठान ली अब अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे पर फूड वैन से कुमाऊनी व्यंजनों का स्वाद यात्रियों तक पहुंचा रहे हैं। लॉकडाउन से मिली परेशानी को उसने अवसर में बदल दिया।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Sat, 28 Nov 2020 01:55 PM (IST) Updated:Sat, 28 Nov 2020 01:55 PM (IST)
म‍िसाल: लॉकडाउन में छूटी नौकरी, गांव लौटे तो फूड वैन से शुरू क‍िया खुद का रोजगार
भुपाल ने दूसरों के ल‍िए मि‍साल पेश करने का काम क‍िया है।

गरमपानी, जेएनएन: लॉकडाउन में दो हजार किलोमीटर दूर से वापस गांव को वापसी हुई तो फिर खुद का ही रोजगार शुरू करने की ठान ली अब अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे पर फूड वैन से कुमाऊनी व्यंजनों का स्वाद यात्रियों तक पहुंचा रहे हैं। लॉकडाउन से मिली परेशानी को उसने अवसर में बदल दिया। बात हो रही है बेतालघाट ब्लॉक के पाडली गांव निवासी भुपाल की।

भुपाल पिछले कई वर्षों से विशाखापट्टनम (आंध्र प्रदेश) में एक निजी होटल में बतौर कारीगर काम करता था। कोरोना महामारी फैली और लॉकडाउन से व्यवस्था चरमरा गई। बीते मई में वह घर वापस आ गया। दो महीने घर पर बैठा रहा पर कामकाजी भुपाल को घर पर बैठना पसंद नहीं आया। उसने गांव के ही देवेंद्र के साथ मिलकर रोजगार की योजना बनाई और चालीस हजार रुपये से एक वैन खरीद ली और शुरु कर दिया अपना खुद का व्यवसाय। अल्मोडा़ हल्द्वानी हाईवे पर गांव के समीप ही भट्ट की चुडकाडी, डूबके, व गहत की दाल बनाने की शुरुआत की। शुरु में कुछ बिर्कि कम हुई पर हार नही मानी। अब रोजाना 20 - 25 ग्राहक दुकान में पहुंच रहे हैं। सुबह 5पांच बजे से शाम छह बजे तक हाईवे किनारे फूड वैन से कुमाऊनी व्यंजन यात्रियों को परोसे जाते हैं। यात्री भी व्यंजनों को खासा पसंद कर रहे हैं। भुपाल बताते हैं कि अब बिक्री ठीक-ठाक होने लगी है। रोजगार भी मिल गया है। कहा है कि अब वह वापस नहीं जाएगा।  सरकार से मदद मिली तो कुछ और भी रोजगार शुरु करने का मन है पर सरकारी मदद का इंतजार है।

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