जगतगुरु शंकराचार्य बोले, चीन घुस रहा, हम पलायन कर रहे, यह सब हो रहा स्‍मार्ट सिटी के कारण

उत्तराखंड प्रवास पर आए गोवर्धन मठ पुरी के जगतगुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती रविवार को हल्द्वानी के चारधाम मंदिर में धर्मसभा के दौरान प्रबुद्धजनों के सवालों के जवाब दिए। पहाड़ों से पलायन पर जगतगुरु ने कहा यह विकास की दिशाहीन परिभाषा गढऩे का फल है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Sun, 28 Nov 2021 06:53 PM (IST) Updated:Sun, 28 Nov 2021 07:11 PM (IST)
जगतगुरु शंकराचार्य बोले, चीन घुस रहा, हम पलायन कर रहे, यह सब हो रहा स्‍मार्ट सिटी के कारण
जगतगुरु शंकराचार्य बोले, चीन घुस रहा, हम पलायन कर रहे, यह सब हो रहा स्‍मार्ट सिटी के कारण

हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : उत्तराखंड प्रवास पर आए गोवर्धन मठ पुरी के जगतगुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती रविवार को हल्द्वानी के चारधाम मंदिर में धर्मसभा के दौरान प्रबुद्धजनों के सवालों के जवाब दिए। पहाड़ों से पलायन पर जगतगुरु ने कहा, यह विकास की दिशाहीन परिभाषा गढऩे का फल है। स्मार्ट सिटी का नाम लेते हुए कहा, नेता जो शब्द देते हैं उसी का प्रभाव पड़ता है। इसी के चलते दुर्गम, सुरक्षित व देवस्थान कहे जाने वाले इलाकों से लोग पलायन कर नगर, महानगर तक सीमित होना चाहते हैं। महानगर शुद्ध मिट्टी, हवा, प्रकाश, आकाश, शुद्ध मुस्कान, शुद्ध मनोभाव सुलभ नहीं करा सकते। ऐसे शहर जीवन को भोजन करने व संतान उत्पन्न करने तक सीमित कर देंगे। आचार-विचार का विलोप होगा। संयुक्त परिवार खत्म होंगे। जगतगुरु ने कहा, चीन हमारी तरफ घुस रहा, हम शहरों को भाग रहे।

गोरक्षा के लिए हमारी व्यूह रचना जारी

गोवंश की वेदना हमें हैं। शंकराचार्य के पद पर आने से पहले गोवंश के लिए हम 52 दिन जेल में रहे। हमारे पूर्वज स्वामी करपात्री महाराज ने भी यातना सही। हम उस परंपरा के हैं। गाय के नाम पर पर्याप्त यातना सह चुके हैं। हम व्यूह रचना कर रहे हैं। हमारी संस्कृति के अनुसार शासन तंत्र हो तभी गोवंश की रचना हो सकती है। गोरक्षक दल बने। जब राजनेता देखेंगे कि गोरक्षक विजयी हो रहे हैं। गोरक्षा के लिए आवाज बुलंद हो रही है, ये भी हां में हां करेंगे। लहर पैदा करना हमारा काम है, अनुगमन करने के लिए ये बाध्य हैं।

धर्मनिरपेक्ष शब्द विडंबना और धोखा

धर्मनिरपेक्ष शब्द की उपयोगिता पर बोलते हुए जगतगुरु ने कहा, शब्द के अतिरिक्त जिसका कोई अस्तित्व न हो। जिसका कोई अर्थ न सिद्ध होता है उसका नाम विकल्प है। धर्मनिरपेक्ष शब्द है, यह कोई व्यक्ति, वस्तु भी हो सकता है। जब तब किसी वस्तु, व्यक्ति में गुण, धर्म की प्रतिष्ठा है तब तक उसकी उपयोगिता है। धर्मनिरपेक्ष केवल शब्द है, जिसका कोई अर्थ नहीं है। इसलिए धर्मनिरपेक्ष पागलपन है, विडंबना है, धोखा है।

chat bot
आपका साथी