मानसून सीजन में जानलेवा साबित हो रहा पहाड़ों का सफर, जिंदगी पर आफत बनकर बरस रहे बूढे पहाड़
कोहरे के बीच पहाड़ों के घुमावदार सड़क का सफर जिंदगी पर भारी पड़ रहा है। बरसात के दौरान तो यह खतरा दोगुना हो जाता है। गुरुग्राम के तलवार दंपती ने यह सोचा भी नहीं होगा कि उनके साथ इस तरह का सड़क हादसा हो जाएगा।
नरेश कुमार, नैनीताल : कोहरे के बीच पहाड़ों के घुमावदार सड़क का सफर जिंदगी पर भारी पड़ रहा है। बरसात के दौरान तो यह खतरा दोगुना हो जाता है। गुरुग्राम के तलवार दंपती ने यह सोचा भी नहीं होगा कि उनके साथ इस तरह का सड़क हादसा हो जाएगा। जिस स्थान पर वाहन पर पत्थर गिरा। उसी के 100 मीटर के दायरे में पहले भी दो बड़े सड़क हादसे हो चुके है, जिसमें 18 लोगों की जान जा चुकी है। पहाड़ी से लगातार गिरते पत्थरों की रोकथाम को लेकर सरकारी तंत्र बेपरवाह बना है और निर्दोष लोगों की मौत हो रही है।
बरसात में कालाढूंगी-नैनीताल मोटर मार्ग का बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र समेत नारायण नगर, हल्द्वानी रोड स्थित हनुमानगढ़ी, बल्दियाखान हनुमान मंदिर, भवाली रोड पर टूटा पहाड़, कैलाखान, पाइंस क्षेत्र भूस्खलन की दृष्टि से अतिसंवेदनशील है। यहां पहाडिय़ों से अक्सर पत्थर गिरते रहते है। बरसात में स्थानीय वाहन चालकों के साथ ही पर्यटकों को जान हथेली पर रख सफर करना पड़ता है। सड़क की संवेदनशीलता को लेकर कई बार सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में चर्चा होने के साथ ही सुरक्षा इंतजामों के प्रस्ताव भी बने जो महज कागजों में ही गुम हो गए।
100 मीटर क्षेत्र में यह तीसरा बड़ा हादसा
बजून के समीप बूढ़ा पहाड़ के जिस क्षेत्र में मंगलवार को वाहन के ऊपर बोल्डर गिरा उसी के 100 मीटर के दायरे में पहले भी दो बड़े हादसे हो चुके है। करीब छह वर्ष पूर्व पहाड़ी से सेंट्रो कार के ऊपर बोल्डर गिर गया था। जिसमें रामनगर निवासी चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। वहीं करीब दो दशक पूर्व ट्रेवल एजेंसी की एक बस असंतुलित होकर खाई में समा गई थी, जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं भवाली रोड स्थित कैलाखान की पहाड़ी से सोमवार को ईओ के वाहन पर भी बोल्डर गिर गया था। जिसमें वह बाल-बाल बचे थे।
स्थानीय लोग भी परेशान
बजून और सड़क से रोजाना गुजरने वाले वाहन चालकों ने बताया कि अक्सर बूढ़ा पहाड़ से पत्थर गिरते रहते है, जिससे कई बार उनके वाहन क्षतिग्रस्त हो चुके है। बरसात में तो पहाड़ी से बड़े बोल्डर गिरने से काफी खतरा रहता है।
90 डिग्री खड़ी है चट्टान
बजून से आगे जाकर बूढ़ा पहाड़ का करीब दो सौ मीटर का हिस्सा अतिसंवेदनशील है। पहाड़ी का ढाल 90 डिग्री होने के कारण ऊपर से गिरता छोटा सा कंकर भी तीव्र गति से नीचे की ओर आता है। जिससे सड़क हादसों की संभावना बनी रहती है।
नेटिंग का प्रस्ताव बनाया जाएगा
ईई लोनिवि के दीपक गुप्ता ने बताया कि पहाड़ी से बोल्डर गिरकर सड़क हादसे की जानकारी मिली है। विभागीय कर्मियों को मौका मुआयना करने भेजा गया है। कर्मियों की सर्वे रिपोर्ट के बाद ही कुछ ट्रीटमेंट को लेकर कहा जा सकता है। यदि जरूरत पड़ी तो पहाड़ी से पत्थर रोकथाम को लेकर नेटिंग करने का प्रस्ताव बनाया जाएगा।