तंत्र के गण : कोरोना में लोगों के प्रति दिखी आइपीएस प्रीति की "प्रीत"

2012 बैच की आइपीएस अफसर प्रीति प्रियदर्शिनी पिथौरागढ़ से पहले बागेश्वर की एसपी भी रहीं। कोरोना काल की शुरुआत में लोगों को तमाम संकट का सामना करना पड़ा था। एसपी प्रीति ने एसपीओ का गठन किया। एसपीओ ने लोगों की जरूरत की चीजें घर तक भिजवाने में अहम भूमिका निभाई।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Sat, 23 Jan 2021 07:20 AM (IST) Updated:Sat, 23 Jan 2021 07:20 AM (IST)
तंत्र के गण : कोरोना में लोगों के प्रति दिखी आइपीएस प्रीति की "प्रीत"
लिस मुख्यालय, हल्द्वानी एसपीआर और चमोली में पोस्टिंग के दौरान भी उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया।

हल्द्वानी, गोविंद बिष्ट। जिला पिथौरागढ़। नेपाल बार्डर से सटा यह इलाका दुर्गम है। इसलिए यहां की समस्याएं और समाधान भी अन्य जिलों से कुछ अलग हैं। मैदान की तरह पुलिस या प्रशासन की टीम किसी घटना की सूचना पर यहां तुरंत गाड़ी लेकर नहीं पहुंच सकती। सड़क के साथ पहाड़-पगडंडियां और नदी भी पार करनी पड़ती है, ऐसे में कोरोना काल में महामारी और फिर आई मौसमी आपदा से लोगों को बचाना किसी मुश्किल से कम नहीं था, इसके बावजूद लाकडाउन के दौरान यहां किए गए उपायों ने सीमांत के इसे इलाके को काफी चर्चा दिलाई। इन उपायों को लागू कराकर लोगों को महामारी से दूर रखने का जिम्मा युवा आइपीएस प्रीति प्रियदर्शिनी के पास था।

बतौर एसपी पिथौरागढ़ में पहली बार किसी महिला अफसर को कमान मिली थी, मगर तमाम सवाल और शंकाओं को पीछे छोड़ उन्होंने जनता के बीच पुलिस की छवि महकमे के स्लोगन की तरह गढ़ दी। यही वजह है कि अब उनके हाथ में वीवीआइपी और बड़े जिले नैनीताल की कमान है। 2012 बैच की आइपीएस अफसर प्रीति प्रियदर्शिनी पिथौरागढ़ से पहले बागेश्वर की एसपी भी रहीं। पुलिस मुख्यालय, हल्द्वानी एसपीआर और चमोली में पोस्टिंग के दौरान भी उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। कोरोना काल की शुरुआत में लोगों को तमाम संकट का सामना करना पड़ा था। जैसे खाने की दिक्कत, दवा की दिक्कत और इमरजेंसी में बाहर निकलने की अनुमति हासिल करने की चुनौती। वैसे तो पुलिस लोगों की भरपूर मदद कर रही थी, मगर लोगों की समस्या को देखते हुए एसपी प्रीति ने स्पेशल पुलिस आफिसर यानी एसपीओ का गठन किया, जिसमें 41 लोग शामिल किए गए।

एसपीओ ने हर एरिया के लोगों की समस्या का समाधान करने के साथ जरूरत की चीजें घर तक भिजवाने में अहम भूमिका निभाई। इस स्पेशल टीम के कामों की सीधी मानीटरिंग एसपी प्रीति ने की।

महामारी से जंग के दौरान ही अगस्त में सीमांत जिले के धारचूला और बंगापानी तहसील छेत्र में आपदा ने लोगों का दर्द दोगुना कर दिया। इस दौरान पुलिस, एनडीआरएफ-एसडीआरएफ की टीम राहत-बचाव के काम मे जुटी थी। टीम का हौसला बढ़ाने और आपदा प्रभावित लोगों का दर्द सुनने के लिए प्रीति रस्सी के सहारे उफनाती नदी पार कर लुमती, मोरी आदि गांव पहुंची थीं, जिसके बाद रेस्क्यू अभियान और तेज किया गया।

लड़कियों के लिए 'साहस'

स्कूल-कालेज की छात्राओं व महिलाओं संग छेडख़ानी-अभद्रता की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए प्रीति ने पिथौरागढ़ में आपरेशन साहस की शुरुआत की थी। टीम में महिलाएं शामिल की गईं, ताकि लड़कियां बेझिझक समस्या बता सकें। मुख्य मार्ग व चौराहों पर फ्लैक्स-बैनर से इसका प्रचार भी किया। महिला अत्याचार रोकने के लिए पुरुषों की भी काउंसलिंग की गई।

पुलिस के भरोसे रहे 2600 नेपाली

लाकडाउन के दौरान नेपाल सीमा के गेट बंद होने पर 2600 नेपाली पिथौरागढ़ में फंस गए थे। पुलिस-प्रशासन की मदद से इन्हेंं स्कूल व अन्य जगहों पर रखा गया, जहां पुलिस ने इनके लिए पूरी व्यवस्था की थी। मदकोट में 10 दिन के बच्चे के भूखे होने की सूचना पर प्रीति प्रियदर्शिनी खुद हेल्थ किट लेकर पहुंची थीं। साथ ही बड़ी संख्या में पैदल ही घर को रवाना हो रहे मजदूरों को समझाकर उनके रहने-खाने की जिम्मेदारी भी उठाई। एसपी के निर्देश पर कई चेक प्वाइंट पर प्रवासियों के लिए रोजाना खाना और उनके बच्चों के लिए दूध की व्यवस्था भी हुई।

चर्चा में रहा फिटनेस चैलेंज

पिथौरागढ़ में तैनाती के दौरान प्रीति प्रियदर्शिनी ने इंटरनेट मीडिया के जरिये लोगों को जागरूक किया। फेसबुक लाइव के जरिये साइबर ठगी के टिप्स दिए। लोक कलाकारों के जरिये कोरोना नियमों के पालन की अपील की। सबसे ज्यादा चर्चा में 'वन मिनट प्लैंक चैलेंजÓ रहा। इसके जरिए युवाओं को नशे से दूर और फिटनेस पर फोकस करने की अपील की गई। शुरुआत प्रीति ने खुद की, जिसके बाद पुलिसकर्मी और आमलोग भी इससे जुड़ते गए।

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