इंजेक्शन से नशा करने वालों में बढ़ा एड्स का खतरा

इंजेक्शन से नशा करने वालों में एड्स का खतरा बढ़ा है। इसके बावजूद नशा करने वालों की संख्या कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 01 Dec 2020 01:05 AM (IST) Updated:Tue, 01 Dec 2020 01:05 AM (IST)
इंजेक्शन से नशा करने वालों में बढ़ा एड्स का खतरा
इंजेक्शन से नशा करने वालों में बढ़ा एड्स का खतरा

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: इंजेक्शन से नशा करने वालों में एड्स का खतरा बढ़ा है। इसके बावजूद नशा करने वालों की संख्या कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है। यहां तक कि इस तरह से नशा करने वाले कई लोग शुरुआती दौर में ही एड्स के शिकार हो जाते हैं, लेकिन पकड़ में नहीं आते। इसलिए लाइलाज बीमारी के फैलने की आशंका बढ़ी है। यह बात धरोहर संस्था के सर्वे में सामने आई है। यह संस्था इन बच्चों के सर्वे और काउंसलिंग का काम करती है।

संस्था के प्रोजेक्ट निदेशक नकुल पांडे का कहना है कि जिले में वर्ष 2009 में हमें नशा करने वाले 300 बच्चों को ढूंढने का लक्ष्य दिया गया था, जो एक साल में ही पूरा हो गया। शुरुआती दौर में नशेड़ियों में कुछ ही लोग एड्स रोगी थे, लेकिन इस समय यह संख्या 28 से अधिक हो गई है। इसका प्रसार तेजी से बढ़ा रहा है। कई बार ऐसे लोग जांच को सामने नहीं आते हैं। दूसरा नशा करने लगते हैं। इसलिए मरीजों की पहचान करना मुश्किल हो जाता है।

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एसटीएच के एआरटी सेंटर में तीन साल से डाक्टर नहीं

डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में संचालित एआरटी (एंटी रिट्रोवायलरल थेरेपी) सेंटर बदहाल है। तीन साल से इस सेंटर में न डाक्टर है और न ही फार्मास्टि व स्टाफ नर्स। जबकि इस सेंटर में कुमाऊं भर से 2500 से अधिक एड्स रोगी पंजीकृत हैं। जिन्हें निश्शुल्क दवाइयां देने का प्रावधान है। दुर्भाग्य है कि इस सेंटर में मरीजों को नान मेडिको स्टाफ दवाइयां उपलब्ध कराता है। आलम यह है कि महिला परामर्शदाता भी नहीं है। जिसकी वजह से काफी दिक्कत होती है। एआरटी सेंटर में डाक्टर व अन्य फार्मासिस्ट की नियुक्ति नहीं हुई है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग को कई बार रिमाइंडर भेज दिया गया है।

डा. अशोक कुमार, प्रभारी, एआरटी सेंटर, एसटीएच

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