ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 116 देशों की सूची में 101 स्थान पर, जानिए क्‍या बोले विशेषज्ञ

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के नाम पर गेहूं चावल बांट देना पर्याप्त नहीं है। कुपोषण का शिकार बच्चे व एनीमिया ग्रस्त होतीं महिलाओं को पोषण युक्त आहार की जरूरत है। पोषण से भरपूर स्थानीय उत्पादों के सेवन को लेकर जागरूकता की जरूरत है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 07:50 AM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 07:50 AM (IST)
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 116 देशों की सूची में 101 स्थान पर, जानिए क्‍या बोले विशेषज्ञ
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 116 देशों की सूची में 101 स्थान पर, जानिए क्‍या बोले विशेषज्ञ

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : सार्वजनिक वितरण प्रणाली के नाम पर गेहूं, चावल बांट देना पर्याप्त नहीं है। कुपोषण का शिकार बच्चे व एनीमिया ग्रस्त होतीं महिलाओं को पोषण युक्त आहार की जरूरत है। पोषण से भरपूर स्थानीय उत्पादों के सेवन को लेकर जागरूकता की जरूरत है। ह्यूमन राइट्स ला नेटवर्क की ओर से 'कोरोना महामारी व उत्तराखंड' विषय पर आयोजित विमर्श में अमन संस्था की नीलिमा पांडे ने यह बात कहीं।

काठगोदाम सुचेतना सभागार में आयोजित विमर्श के दूसरे दिन खाद्य सुरक्षा के अधिकार पर बोलते हुए नीलिमा ने कहा ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 116 देशों की सूची में 101 स्थान पर है। राशन व पोषण वितरण प्रणाली को प्रभावी बनाने के लिए सामुदायिक निगरानी समिति बनाने की जरूरत है। वक्ताओं ने कहा खाद्य सुरक्षा में समृद्धि तभी आ सकती है, जब खेती की जमीन बची रहेगी। खेती की जमीन का व्यावसायिक उपयोग बंद करना होगा।

महिला किसान संगठन की हीरा जंगपांगी ने कहा कि कोरोना काल में आदिवासी, वनराजी परिवारों को सरकारी खाद्यान्न मिलने में परेशानी हुई। सरकार वितरण प्रणाली को बेहतर बनाए। आयुर्वेद विशेषज्ञ डा. दीपक शर्मा व जेपी बड़ौनी ने पारंपरिक अनाजों की ओर लौटने की जरूरत बताई। इससे पहले जोत भूमि पर ध्यान देने की बात कही। भूमि के बंदोबस्त की शीघ्र जरूरत है।

शिक्षा विषय पर बोलते हुए वक्ताओं ने कहा कि कोरोना ने पढ़ाई को प्रभावित किया है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषद के पाठ्यक्रम में राज्यों को भी शामिल करने की जरूरत है। मनोविज्ञान की प्रोफेसर डा. रेखा जोशी ने कहा मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा की जरूरत है। भारती पांडे ने कहा आनलाइन शिक्षा ने ग्रामीण परिवारों की आर्थिकी को प्रभावित किया है। हुकम सिंह, हरीश रावत, भुवन जोशी, दिनेश पांडे, सरोज सिंह, करन राणा, प्रदीप तिवारी, आनंदी वर्मा आदि ने विचार रखे।

संसाधन बचाने को एकजुट होना होगा

जमीन, पर्यावरण व विकास के मुद्दे पर वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड में बदलाव की जरूरत है। सामाजिक ताकतों को एकजुट होना होगा। जल, जंगल, जमीन व उत्तराखंडी अस्मिता पर अधिवक्ता पीसी तिवारी ने कहा पहाड़ की जमीन, प्राकृतिक संसाधन हमने छीने जा रहे हैं। इसके खिलाफ संघर्ष की जरूरत है।

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