महारैली में उपनलकर्मियों ने भरी हुंकार, सड़क पर उतरे, समान कार्य समान वेतन की मांग पर अड़े, कैबिनेट से केवल तीन हजार रुपये तक वेतन बढ़ने के प्रस्ताव से हैं नाराज

डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय के उपनल कर्मचारी पिछले 42 दिन से हड़ताल पर हैं। बुधवार को कर्मचारियों ने बुद्ध पार्क से एसडीएम कोर्ट तक महारैली का आयोजन किया। जुलूस की शक्ल में सड़क पर उतरे और सरकार के खिलाफ नाराजगी जताई।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 03:55 PM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 03:55 PM (IST)
महारैली में उपनलकर्मियों ने भरी हुंकार, सड़क पर उतरे, समान कार्य समान वेतन की मांग पर अड़े, कैबिनेट से केवल तीन हजार रुपये तक वेतन बढ़ने के प्रस्ताव से हैं नाराज
सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया और कहा कि सरकार को हमारी मांगें माननी ही होंगी।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : भले ही धामी सरकार ने उपनलकर्मियों के वेतन में तीन हजार रुपये बढ़ाने का फैसला कैबिनेट के जरिये किया है, लेकिन इस फैसले से कर्मचारी संतुष्ट नहीं हैं। कर्मचारी समान कार्य समान वेतन की जिद पर अड़े  हुए हैं। बुधवार को कर्मचारियों ने महारैली का आयोजन किया। सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया और कहा कि सरकार को हमारी मांगें माननी ही होंगी।

डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय के उपनल कर्मचारी पिछले 42 दिन से हड़ताल पर हैं। बुधवार को कर्मचारियों ने बुद्ध पार्क से एसडीएम कोर्ट तक महारैली का आयोजन किया। जुलूस की शक्ल में सड़क पर उतरे और सरकार के खिलाफ नाराजगी जताई। नारेबाजी भी की। कर्मचारियों ने कहा कि हमारी जायज मांगों को लेकर सरकार गंभीरता से नहीं ले रही है। हमें 10 से 15 वर्ष काम करते हुए हो गए हैं।

हमें नाममात्र का वेतन दिया जाता है, जबकि काम पूरा लिया जाता है। ऐसी स्थित में हमारा घर चलाना मुश्किल हो गया है। अब तक हम सभी जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों को ज्ञापन सौंप चुके हैं। इसके बावजूद हमें झुनझुना थमाया जा रहा है। एसटीएच कर्मचारी संघ के अध्यक्ष पीएस बोरा ने कहा कि दो से तीन हजार रुपये बढ़ाना न्यायोचित नहीं है। सरकार वादाखिलाफी कर रही है। यह हमारे लिए अन्याय है। बोरा ने कहा कि सीएम हमारे परिवार के मुखिया हैं। एक दिन उन्हें हमारी बातें माननी ही होंगी। हम उनसे यही उम्मीद करते हैं।

एसटीएच का काम हो रहा है प्रभावित

एसटीएच में 750 से अधिक उपनलकर्मी हैं। इसमें से 500 से अधिक हड़ताल पर हैं। इसकी वजह से काम प्रभावित हो रहा है। मरीजों से लेकर तीमारदारों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। कार्यालय से संबंधित कार्य प्रभावित हैं। इसके बावजूद सरकार का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है।

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