नाबालिग से दुष्कर्म व हत्या के मामले में सरकार में मांगा जवाब, 16 नवंबर को होगी अगली सुनवाई

मोहम्मद अजहर ने पुलिस के सामने यह बयान दिया कि उसने पहले नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया बाद में उसके शव को पेड़ में लटका दिया। जिससे लोगो को पता नही चल सके कि उसके साथ दुष्कर्म हुआ। उसने बचने के लिए मामले को सुसाइड का रूप दिया।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 05:13 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 05:13 PM (IST)
नाबालिग से दुष्कर्म व हत्या के मामले में सरकार में मांगा जवाब, 16 नवंबर को होगी अगली सुनवाई
अभियुक्त को फांसी की सजा के साथ 70 हजार का अर्थदण्ड से भी दण्डित किया।

जागरण संवाददाता, नैनीताल। उच्च न्यायालय ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म व हत्या करने के दोषी को देहरादून पॉक्सो कोर्ट से फांसी की सजा दिए जाने के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई की। कोर्ट ने  सरकार से मामले में दो सप्ताह में अपनी आपत्ति पेश करने को कहा है। अगली सुनवाई 16 नवम्बर नियत की है।

मंगलवार को  मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई। अभियोजन के अनुसार देहरादून के त्यूणी रोटा खड्ड के पास दो फरवरी 2016 को क्षेत्र वासियों को एक शव पेड़ पर लटका देखा तो ईसकी सूचना पुलिस को दी गयी। पुलिस द्वारा शव की पहचान नवी में पढ़ने वाली एक नेपाली मूल की छात्रा के रूप में की गयी। क्षेत्रवासियों ने पुलिस को यह भी बताया कि यह छात्रा पहली जनवरी 2016 को पेशे से वाहन चालक मोहम्मद अजहर निवासी अम्बाडी डाकपत्थर जिला देहरादून को मोटर साइकिल में देखा गया। पुलिस द्वारा जब उसके घर मे छापा मारा तो वह फरार था। गहन खोजबीन करने पर पुलिस ने उसे हिमांचल के सिरमौर से पांच जनवरी 2016 को गिरफ्तार किया।

मोहम्मद अजहर ने पुलिस के सामने यह बयान दिया कि  उसने पहले नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया बाद में उसके शव को पेड़ में लटका दिया। जिससे लोगो को पता नही चल सके कि उसके साथ दुष्कर्म हुआ। उसने बचने के लिए मामले को सुसाइड का रूप दिया। उसके दुपट्टे से शव को पेड़ पर लटका दिया। डीएनए जांच में भी इसकी पुष्टि हुई। अभियुक्त को देहरादून पॉक्सो कोर्ट की बिसेष न्यायधीश रमा पांडे ने 12 दिसम्बर 2018 को फांसी की सजा के साथ 70 हजार का अर्थदण्ड से भी दण्डित किया। पॉक्सो कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि 50 हजार रुपये मृतक के परिजनों को और 20 हजार रुपये राजकीय खजाने में जमा करने किए जाएं ।इस आदेश के खिलाफ अभियुक्त ने उच्च न्यायलय में अपील दायर की है।

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