स्थापना के 21वें वर्ष में विकास के मामले में दौड़ता नजर आया बागेश्वर

कौसानी को नगर पंचायत बनना अंतिम चरण पर है। यह जिले के विकास की बड़ी सफलता रही। इसके अलावा कपकोट और बागेश्वर विधानसभा में गांव-गांव सड़कों का निर्माण शुरू हुआ। जल जीवन मिशन कार्यक्रम के तहत घर-घर नल पहुंच गया है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Mon, 08 Nov 2021 05:47 PM (IST) Updated:Mon, 08 Nov 2021 05:47 PM (IST)
स्थापना के 21वें वर्ष में विकास के मामले में दौड़ता नजर आया बागेश्वर
कोरोनाकाल में जिले को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं भी मिली।

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड को अलग हुए 21 वर्ष पूरे हो गए हैं। 21वें वर्ष में जिले में व्यापक विकास हुआ। हालांकि आपदा ने लोगों को सावधान किया और प्रबंधन की पोल भी खुली। कोरोनाकाल में जिले को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं भी मिली। अलबत्ता विकास निरंतरता का पैमाना है और वह दौड़ रहा है।

गरुड़ नगर पंचायत इसी वर्ष बनी है। जिसके लिए लोगों को कई वर्षों से संघर्ष करना पड़ा। वहीं, कौसानी को नगर पंचायत बनना अंतिम चरण पर है। यह जिले के विकास की बड़ी सफलता रही। इसके अलावा कपकोट और बागेश्वर विधानसभा में गांव-गांव सड़कों का निर्माण शुरू हुआ। जल जीवन मिशन कार्यक्रम के तहत घर-घर नल पहुंच गया है। दूसरे चरण में योजनाओं की क्षमता बढ़ाने का प्रयास चल रहा है।

बीते अक्टूबर माह में 17 से लेकर 19 अक्टूबर तक अतिवृष्टि ने लोगों को बेचैन किया। सुंदरढूंगा घाटी की यात्रा पर गए पांच बंगाली पर्यटकों की मौत हुई। जबकि जैकुनी गांव निवासी गाइड खिलाफ सिंह अभी भी लापता है। इसके अलावा जिले को आपदा ने तमाम जख्म भी दिए। 

ये है महत्वपूर्ण काम

-गरुड़ को नगर पंचायत का दर्जा

-बैजनाथ झील में बोटिंग

-जिला अस्पताल में आइसीयू की स्थापना

-जिला अस्पताल में दो आक्सीजन प्लांट

-पीजी कॉलेज को कैंपस का दर्जा

-नगर पालिका को मिला टैक्सी स्टैंड

-सरयू नदी पर बागनाथ मंदिर को जोड़ने के लिए बना पुल

-नगर पालिका ने ई-रिक्शा का किया संचालन

-जल जीवन मिशन के तहत घर-घर पहुंचे नल

-बागनाथ मंदिर का हुआ सुंदरीकरण 

यह रहा यादगार

जिला पंचायत में अनियमितताओं की जांच को लेकर जिला पंचायत उपाध्यक्ष समेत नौ जिपं सदस्यों का आंदोलन यादगार रहा। यह लगभग 64 दिनों तक चला। बाद में लोनिवि गेस्ट हाउस में डीएम मध्यस्थता के बाद धरना समाप्त हुआ। लेकिन यहां क्या बात हुई, अभी तक सार्वजनिक नहीं हो सकी है। हालांकि जिला पंचायत के आंदोलित सदस्यों ने इसे बड़ी जीत माना। वहीं, जिला पंचायत अध्यक्ष बसंती देव भी आंदोलन के दौरान की बयानबाजी से सुर्खियों में रहीं।

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