अल्मोड़ा में सस्ता गल्ला विक्रेताओं की हड़ताल शुरू, राशन उठाया न बांटा
दूसरे दिन भी जिलेभर में दुकानों के शटर नहीं उठे। कोटेदारों ने गोदाम से न तो रसद उठाया ना ही कार्डधारकों को राशन बांटा। कार्य बहिष्कार से बीपीएल व अंत्योदय योजना के पात्र हलकान हैं। वहीं जबरन खाद्यान्न बेचने का दबाव बनाया गया तो धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया जाएगा।
जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा/रानीखेत: छह दशक पुराने मानदेय के मुद्दे को चुनावी वर्ष में उठा कर सरकारी सस्ता गल्ला विक्रेताओं ने असहयोग आंदोलन का ऐलान कर दिया है। दूसरे दिन भी जिलेभर में दुकानों के शटर नहीं उठे। कोटेदारों ने गोदाम से न तो रसद उठाया ना ही कार्डधारकों को राशन बांटा। कार्य बहिष्कार से बीपीएल व अंत्योदय योजना के पात्र हलकान हैं। इधर संगठन के प्रांतीय नेताओं ने जनपदभर के गल्ला विक्रेताओं से एकजुट होने का आह्वान किया। वहीं पूर्ति विभाग को चेताया कि जबरन खाद्यान्न बेचने का दबाव बनाया गया तो धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया जाएगा।
जिले के तमाम ब्लॉक क्षेत्रों में गुरुवार को दूसरे दिन भी कोटेदारों ने कार्य बहिष्कार किया। पर्वतीय सरकारी सस्ता गल्ला कल्याण समिति के प्रदेश संयोजक अभय साह ने कहा कि सन् 1952 से कोटेदार सरकारी खाद्यान्न बांटने के एवज में मानदेय की मांग उठाते आ रहे हैं। मगर 69 वर्ष बीतने के बावजूद सरकारी गल्ला विक्रेताओं की उपेक्षा जारी है। उन्होंने कहा कि 30 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय से कम पर अब समझौता नहीं किया जाएगा।
जिलाध्यक्ष दिनेश गोयल ने जिले के सभी कोटेदारों से मानदेय के लिए एकजुट होकर आंदोलन को समर्थन का आह्वान किया। दो टूक कहा कि सहायक खाद्यान्न निरीक्षकों ने यदि कोटेदारों से जबरन रसद उठवा कार्डधारकों को बांटने का दबाव बनाया तो विभाग के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा।
रानीखेत में 121 कोटेदारों ने खींचे हाथ
उपमंडल में भी 121 राशन की दुकानें बंद रखी गई। संगठन अध्यक्ष हेमंत सिंह रौतेला ने बताया कि रानीखेत के साथ ही सौनी व जालली क्षेत्र में भी कार्य बहिष्कार किया गया।
डीएसओ शैलेंद्र सिंह बिष्ट ने बताया कि वर्तमान में सस्ता गल्ला विक्रेताओं को राशन वितरण के एवज में लाभांश दिया जा रहा है। मानदेय संबंधी मांग शासन स्तर की है। इस पर उच्च स्तर से ही निर्णय लिया जाना है।