नदियों में मूर्ति या पूजा सामग्री विसर्जित करने पर एक लाख जुर्माना और पांच साल तक हो सकती है जेल

अब नदियों में मूर्ति विसर्जन के साथ ही पूजा व अन्य धार्मिक सामग्री प्रवाहित नहीं की जा सकेंगी। निर्मल अविरल नदियों की थीम पर राष्‍ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के आदेश पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की संशोधित गाइडलाइन जनपद में प्रभावी कर दी गई है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 09:53 AM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 09:53 AM (IST)
नदियों में मूर्ति या पूजा सामग्री विसर्जित करने पर एक लाख जुर्माना और पांच साल तक हो सकती है जेल
नदियों में मूर्ति या पूजा सामग्री विसर्जित करने पर एक लाख जुर्माना और पांच साल तक हो सकती है जेल

संवाद सूत्र, अल्मोड़ा : नदियों को प्रदूषण मुक्‍त करने के लिए अहम निर्णय लिया गया है। जिसके तहत अब नदियों में मूर्ति विसर्जन के साथ ही पूजा व अन्य धार्मिक सामग्री प्रवाहित नहीं की जा सकेंगी। निर्मल अविरल नदियों की थीम पर राष्‍ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के आदेश पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की संशोधित गाइडलाइन जनपद में प्रभावी कर दी गई है। दिशा निर्देशों के उल्लंघन पर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के तहत एक लाख रुपये तक जुर्माना व पांच वर्ष तक के कारावास का प्रावधान है।

महानदी गंगा की सहायक नदियों को प्रदूषण मुक्त रखने को सीपीसीबी ने संशोधित गाइडलाइन जारी कर प्रदेशभर के जनपदों में इसे प्रभावी बनाने के निर्देश दिए हैं। इधर जिला प्रशासन भी हरकत में आ गया है। अपर जिलाधिकारी चंद्र सिंह मर्तोलिया ने एनजीटी की ओर से पारित आदेशों पर अमल करते हुए सभी उपजिलाधिकारियों को सीपीसीबी की संशोधित गाइडलाइन के अनुपालन के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि त्योहारी सीजन के मद्देनजर नदियों व अन्य जल धाराओं में मूर्ति, पूजा सामग्री एवं अन्य धार्मिक वस्तुओं के निस्तारण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाना सुनिश्चित करें। उल्लंघन करने वालों के खिलाफ जरूरी कार्रवाई के निर्देश भी दिए हैं। बता दें कि पूजन सामग्र‍ी और नदियों में मूर्तियों को प्रवाहित करने के कारण प्रदूषण का खतरा निरंतर बढ़ता रहा है। जो अविरल और साफ नदियों के लिए खतरनाक है।

chat bot
आपका साथी