जल के बिना जीवन की कल्पना व्यर्थ : कुलपति

भीमताल में जैव प्रौद्योगिकी विभाग में पेयजल प्रदूषण के कारकों एवं स्रोतों पर चिंतन के लिए वैज्ञानिकों और विषय विशेषज्ञों की कार्यशाला आयोजित की गई।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Nov 2019 01:53 AM (IST) Updated:Wed, 20 Nov 2019 06:17 AM (IST)
जल के बिना जीवन की कल्पना व्यर्थ : कुलपति
जल के बिना जीवन की कल्पना व्यर्थ : कुलपति

संवाद सहयोगी, भीमताल : जैव प्रौद्योगिकी विभाग में पेयजल प्रदूषण के कारकों एवं स्रोतों पर चिंतन के लिये वैज्ञानिकों और विषय विशेषज्ञों की कार्यशाला आयोजित की गई। इस मौके पर कुलपति केएस राणा ने कहा कि दुनिया चाहे कितना भी विकास कर ले पर जल के बिना जीवन की कल्पना करना ही व्यर्थ है।

उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद हल्दी ऊधमसिंह नगर, जैव प्रौद्योगिकी विभाग कुमाऊं विश्वविद्यालय भीमताल एवं एजीलेंट टेक्नोलॉजी इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति केएस राणा ने जल के अस्तित्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि दुनिया चाहे कितना भी विकास कर ले पर जल के बिना जीवन की कल्पना करना ही व्यर्थ है। उत्तराखंड राज्य के परंपरागत जल स्रोतों का संरक्षण व प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है नहीं तो जल संकट हमेशा एक चुनौती रहेगी। जैव प्रौद्योगिकी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. बीना पांडे ने कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए क्षेत्र में किये जा रहे शोध की जानकारी दी। विशिष्ट अतिथि उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद के निदेशक प्रो. दिनेश कुमार सिंह ने परिषद की नवीन गतिविधियों से अवगत कराया और बताया कि प्रदेश में जलस्रोतों की भरमार है, लेकिन इसके संरक्षण की अत्यंत आवश्यकता है। प्रदूषण से इसको बचाने पर चिंतन करने की आवश्यकता है। मुख्य वक्ता पंतनगर विश्वविद्यालय के प्रो. वीर सिंह ने जल की गतिशीलता एवं परिस्थितिकी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि धरती पर जीवन तथा जीवन में प्रत्येक के हर पहलू में जल की महत्ता स्पष्ट है। दुनिया की कई समस्या जल आधारित है और जल संकट से जुड़ी है। कार्यक्रम समन्वयक वैज्ञानिक डॉ. मणिन्द्र मोहन शर्मा ने बताया कि जल प्रकृति का खूबसूरत वरदान है। इस दौरान एजीलेंट टेक्नोलॉजी इंडिया के विषय विशेषज्ञों ने पेयजल गुणवत्ता की जांच में आधुनिक उपकरणों की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। इस मौके पर प्रो. पीसी कविदयाल, प्रो. वीर सिंह, प्रो. बीना पांडे, मणिन्द्र मोहन, भूपाल सिंह, केशव रावत, ललित मिश्र, अतुल महेंदी आदि उपस्थित थे।

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