हिंसा के विरोध में सड़क पर उतरे डाक्टर, पीएम को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट का सौंपा
हिंसा के विरोध में डाक्टर शुक्रवार को सड़कों पर उतर आए। उन्होंने केंद्र सरकार से डाक्टरों के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए सख्त कानून बनाए जाने की मांग की। इसके साथ ही इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की हल्द्वानी शाखा ने प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह को सौंपा।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : हिंसा के विरोध में डाक्टर शुक्रवार को सड़कों पर उतर आए। उन्होंने केंद्र सरकार से डाक्टरों के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए सख्त कानून बनाए जाने की मांग की। इसके साथ ही इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की हल्द्वानी शाखा ने प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह को सौंपा।
आइएमए के शहर सचिव डा. गौरव सिंघल ने कहा कहा कि डाक्टर पूरी ईमानदारी से अपने काम में जुटे हैं। सभी जानते हैं कि कोविड काल में एलोपैथिक मेडिसिन का महत्वपूर्ण भूमिका रही। डाक्टरों ने अपनी जान की बाजी लगाकर भी लोगों की सेवा की। इसके बावजूद भी डाक्टरों पर हिंसा के मामले बढ़ गए। देश के प्रमुख लोग भी एलोपैथ को बदनाम करने में जुट गए। इस तरह की स्थिति से हम सभी का मनोबल गिरता है।
इसलिए हम लोग केंद्र सरकार से हिंसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए सख्त कानून बनाए जाने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए हमने सिटी मजिस्ट्रेट को भी ज्ञापन भेजा है, ताकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक हमारी बात पहुंच जाए। ज्ञापन सौंपने के दौरान आइएमए के डा. जेएस खुराना, डा. अजय पाल, डा. राहुल सिंह, डा. पंकज गुप्ता, डा. राघव पांडे, डा. एमएस लसपाल आदि शामिल रहे।
बाबा रामदेव के बयान से भी नाराजगी
बाबा रामदेव के बयान को लेकर डाक्टर लगातार आलोचना करने में जुटे हैं। डाक्टरों का कहना था कि हमारा विरोध आयुर्वेद को लेकर नहीं है, लेकिन मार्डन मेडिसिन को बदनाम नहीं किया जाना चाहिए। इससे समाज में भ्रम फैलता है। डाक्टर भी हतोत्साहित होते हैं। डाक्टरों ने दोपहर 12 बजे तक ओपीडी सेवा भी बंद रखी। इसकी वजह से मरीजों को इंतजार करना पड़ा। कुछ निजी अस्पतालों के डाक्टरों ने स्टाफ के साथ गेट पर धरना दिया। बैनर टांगे और उसमें लिखा, हिंसा रोके, डाक्टरों को बचाओ आदि।
Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें