नैनीताल में नहीं थम रहा अवैध निर्माण, वन भूमि और पहाड़ी को काटकर धड़ल्ले से हो रहा निर्माण

शहर में अवैध निर्माण करने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। अवैध निर्माणकर्ताओं के हौसले तो इतने बुलंद है कि शहर के विभिन्न क्षेत्रों में वन भूमि समेत पहाड़ी को काटकर रातोरात धड़ल्ले से भवन निर्मित किये जा रहे है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Tue, 24 Nov 2020 10:24 AM (IST) Updated:Tue, 24 Nov 2020 10:24 AM (IST)
नैनीताल में नहीं थम रहा अवैध निर्माण, वन भूमि और पहाड़ी को काटकर धड़ल्ले से हो रहा निर्माण
नैनीताल में नहीं थम रहा अवैध निर्माण, वन भूमि और पहाड़ी को काटकर धड़ल्ले से हो रहा निर्माण

नैनीताल, नरेश कुमार : शहर में अवैध निर्माण करने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। अवैध निर्माणकर्ताओं के हौसले तो इतने बुलंद है कि शहर के विभिन्न क्षेत्रों में वन भूमि समेत पहाड़ी को काटकर रातोरात धड़ल्ले से भवन निर्मित किये जा रहे है। वहीं इसकी देखरेख के जिम्मेदार जिला विकास प्राधिकरण अधिकारियों को इसकी सुध तक नहीं है।

भूगर्भिक दृष्टि से संवेदनशील होने के कारण शहर में निर्माण कार्यो पर पूरी तरह प्रतिबंध है। जिन लोगों को निर्माण कार्य करना भी होता है उन्हें इसके लिए बाकायदा विभिन्न विभागों से एनओसी लेकर प्राधिकरण से नक्शा पास कराना होता है। विभागीय सर्वे के बाद यदि निर्माण कार्य कराने वाला स्थान मानकों पर खरा उतरता है तो उसके बाद ही निर्माण की अनुमति दी जाती है। इसके विपरीत शहर में इन मानकों को ताक में रख धड़ल्ले से निर्माण कार्य कराए जा रहे है। लगातार चल रहे निर्माण कार्य से बढ़ता यह दबाव सरोवर नगरी के अस्तित्व के लिए भी खतरा बन सकता है।

सचिव जिला विकास प्राधिकरण पंकज उपाध्याय ने बताया कि निर्माणकार्य कराए जाने की जानकारी मिलने पर टीम द्वारा स्थलीय निरीक्षण किया जा रहा है। जिसमें भवनों को सील करने के साथ ही ध्वस्तीकरण की कार्रवाई भी की जा रही है। अभियान में तेजी लाई जाएगी।

अंग्रेज थे संजीदा, आजादी के बाद बढ़ता गया दबाव

अंग्रेजों ने नैनीताल को अपनी ऐशगाह के रूप में तो बसाया, लेकिन वह इस शहर के अस्तित्व के लिए हमेशा संजीदा रहे। 1880 के विनाशकारी भूकंप के बाद तो कई विशेषज्ञ समितियां गठित कर शहर के संरक्षण के लिए नियम कानून बनाये गए। शहर के अस्तित्व को बचाने के लिए उनकी संजीदगी इस बात से देखी जा सकती है कि भूस्खलन की घटनाएं रोकने के लिए भवन निर्माण के साथ ही कई क्षेत्रों में खेती, बागवानी और पेड़ काटने पर पूरी तरह प्रतिबंध था, लेकिन अंग्रेजों के चले जाने के बाद शहरवासियों ने इसकी गंभीरता को नहीं समझा और धड़ल्ले से निर्माण कार्य कर शहर पर दबाव बढ़ाते चले गए।

अनोखा है अवैध निर्माण का तरीका

निर्माणकारियो द्वारा शहर में अवैध निर्माण करने का तरीका भी अनोखा है। इन लोगों द्वारा रातोंरात खाली भूमि पर टिनशेट खड़ा कर लिया जाता है। जिसके बाद उस टिनशेट के अंदर ही अंदर पक्का निर्माण कार्य किया जाता है। पक्का भवन तैयार होने के बाद बाहर का टीनशेड हटा लिया जाता है।

लगाम लगाने में नाकाम प्राधिकरण

धड़ल्ले से चल रहे अवैध निर्माणों पर लगाम लगाने में प्राधिकरण भी नाकाम साबित हो रहा है। धड़ल्ले से चल रहे निर्माण कार्यो की प्राधिकरण को सुध ही नहीं है। जिन क्षेत्रों में टीम पहुँच सील करने की कार्रवाई भी कर रही है। वो निर्माण कार्य सील लगी होने के बावजूद पूरे किए जा रहे है। लोग तो आरोप भी लगा रहे है कि अवैध निर्माण कराने में प्राधिकरण की भी मिलीभगत है।

chat bot
आपका साथी