आत्‍मनिर्भर भारत की संकल्‍पना को साकार कर रहा आइआइएम काशीपुर, स्‍टार्टअप से कई युवाओं की संवरी जिंदगी

आइआइएम काशीपुर ने युवाओं को आत्‍मनिर्भर बनाने का जिम्‍मा उठाया है। प्रवासियों की घर वापसी करने व किसानों को फोकस करते हुए आइआइएम की विंग इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्‍योरशिप टीम ने अपने तीन प्रोग्राम के जरिये 200 से ज्‍यादा स्टार्टअप को प्रशिक्षित कर चुका है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Sun, 24 Jan 2021 12:19 PM (IST) Updated:Sun, 24 Jan 2021 12:19 PM (IST)
आत्‍मनिर्भर भारत की संकल्‍पना को साकार कर रहा आइआइएम काशीपुर, स्‍टार्टअप से कई युवाओं की संवरी जिंदगी
आत्‍मनिर्भर भारत की संकल्‍पना को साकार कर रहा आइआइएम काशीपुर, स्‍टार्टअप से कई युवाओं की संवरी जिंदगी

काशीपुर, अभय कुमार पांडेय : कोविड काल के बाद आत्‍मनिर्भर भारत की संकल्‍पना को साकार करने के लिए आइआइएम काशीपुर ने युवाओं को आत्‍मनिर्भर बनाने का जिम्‍मा उठाया है। प्रवासियों की घर वापसी करने व किसानों को फोकस करते हुए आइआइएम की विंग इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्‍योरशिप टीम ने अपने तीन प्रोग्राम के जरिये 200 से ज्‍यादा स्टार्टअप को प्रशिक्षित कर चुका है। सक्षम व साहस के जरिए 150 से ज्‍यादा स्टार्टअप का चयन कर उन्हें प्रशिक्षित कर चुका है। इसमें 60 से ज्‍यादा स्टार्टअप को कृषि मंत्रालय से फंडिंग के लिए प्रस्तावित किया जा चुका है। आइआइएम की विंग इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्‍योरशिप टीम के डायरेक्टर सफल बत्रा का कहना है कि कोविड के चलते प्रदेश में रोजगार का सृजन करना मुख्य चुनौती है। इसके कृषि स्टार्टअप सबसे अहम किरदार निभाएगा।

आइआइएम की विंग इनोवेशन एंड एंटरप्रेंयूरोशिप टीम की सीईओ शिवेन दास का कहना है कि कृषि आधारित स्टार्टअप पर हमारा सबसे ज्‍यादा फोकस रहा है। कोविड के चलते 59,360 से च्यादा लोग विभिन्न प्रदेशों से उत्तराखंड के पर्वतीयय जिलों में अपने गांवों में लौट आए हैं। इस आबादी में तकरीबन 70 प्रतिशत आबादी में 25 से 45 के उम्र के युवा हैं। इसमें से महज 20 प्रतिशत ही लोग वापस बड़े शहरों की तरफ लौटे हैं। कुमाऊं क्षेत्र के तकरीबन 200 किसानों को भी स्टार्टअप के लिए प्रशिक्षण शिविर भी लगाया जा चुका है। इसमें पंचायती राज मंत्रालय की तरफ से प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए गए।  

फूड चेन के लिए विशेष एप बनाया 

कोविड के चलते वैश्विक महामारी ने भारत में बाजार व्यवस्था को नई सोच के लिए मजबूर कर दिया। ऐसे समय में काशीपुर आइआइएम के उदय प्रशिक्षण का हिस्सा रह चुके निखिल के बीजक एप ने ट्रेडिंग क्षेत्र में नई क्रांति ला दी है। यह एप कृषि व्यापार के लेनदेन में मुफ्त सुविधा देता है। बीजक का उद्देश्य कृषि उपज के व्यापार में सूचना, विषमता और जवाबदेही की कमी लाना है। बीजक देशभर के मंडियों के लिए व्यवसायियों की निष्पक्ष रेटिंग करने व अपना मार्केट व खोजने में मदद करता है। बीजक एप ने आज 22 राज्‍यों में 400 मंडियों के ट्रेडर्स व किसानों के बीच सेतु बनाने का काम किया है। इस एप को शुरू करने वाले वाले इलाहाबाद निवासी निखिल त्रिपाठी बताते हैं कि उनका और उनकी टीम का मकसद किसानों को नकदी का त्वरित भुगतान व ट्रेडर्स के लिए एक ऑनलाइन प्लेटफार्म उपलब्ध कराना है। 

उत्कर्ष ने लोककला के साथ सिखाया रोजगार का हुनर

अनूठी सांस्कृति और लोककलाओं से देवभूमि की पहचान है। ऐपण को उत्कर्ष ने ग्लोबल पहचान देने के मकसद से अपनी राह चुनी। उत्कर्ष ने ऐपण कला से बनने वाले प्रोडक्ट जूट बैग, रेडिमेड गारमेंट, पिलो कवर, चाय के कप, नेम प्लेट से लेकर चाबी के छल्ले, रिंग, पूजा की थाली को ग्लोबल पहचान दिलाने के लिए इंटरनेट मीडिया व वेबसाइट का सहारा लिया। इसका नतीजा है कि आज आनलाइन वेबसाइट के जरिये भारत के विभिन्न कोने से इनके लिए आर्डर आते हैं और कुमाऊं का यह प्रोडक्ट विदेश तक पहुंच रहा है। इन प्रोडक्ट के डिमांड बढ़ने से एनजीओ से जुड़ी महिलाओं को भी अच्छा मुनाफा हो रहा है।

chat bot
आपका साथी