Dheeraj Suicide Case : कानूनी रूप से मामले को सुलझाया जाता तो जिंदा होता धीरज
Dheeraj Suicide Case एक छोटी सी भूल के चलते मामला बड़ा होता चला गया जिसमें दोषी वह लोग भी कम नहीं हैं। घटनाक्रम में कानून को अपने हाथ में लेने का कार्य किया है। यदि कानूनी रूप से मामले को सुलझाया जाता तो धीरज हमारे बीच में होता।
जागरण संवाददाता, बाजपुर (ऊधमसिंह नगर) : जीवन की अविरल धारा में अनेक पड़ाव ऐसे आते हैं। जब धैर्य मनुष्य की परीक्षा लेता है, लेकिन इसी परीक्षा की घड़ी में जो व्यक्ति अपने हृदय की गहराइयों की मानवीय दशा को नहीं समझ पाता है, वह अपने साहस से पराजित हो जाता है। कुछ ऐसा ही धीरज के साथ देखने को मिला, यदि वह समाज का सामना करने से भयभीत नहीं होता और अपनी मनोदशा में धीरज रखा होता तो संभव: इतनी बड़ी घटना नहीं होती।
बुधवार के घटनाक्रम को देखें तो एक छोटी सी भूल के चलते मामला बड़ा होता चला गया, जिसमें दोषी वह लोग भी कम नहीं हैं। जिन्होंने घटनाक्रम के अंदर कानून को अपने हाथ में लेने का कार्य किया है। यदि कानूनी रूप से मामले की निष्पादन की ओर बढ़ा जाता तो निश्चित रूप से धीरज हमारे बीच में होता और दूसरा पक्ष भी सलाखों के पीछे जाने से बच जाता।
कहा जा रहा है कि मामला मात्र छह हजार रुपये का था। जिसे लेकर दुकान मालिक व कर्मचारी में विवाद शुरू हुआ। वसूली की कार्रवाई को लेकर बात बिगड़ती चली गई, जबकि धीरज के परिवार ने मामले को निपटाने के लिए 10 हजार रुपये कर्ज इत्यादि लेकर दुकान मालिक को देने की बात कही जा रही है। बावजूद इसके समाज की नजरों में अपने आप को बचाने के लिए अपने जीवन को जीने का धैर्य खो दिया और विषाक्त पदार्थ का सेवन कर अपने प्राणों की आहूति दे दी। अभी तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आई है जिसकी वजह से मौत के सही कारणों का पता भी स्पष्ट रूप से नहीं चल पाया है।
लोगों ने की घटना की निंदा
धीरज की मौत ने आम जनमानस को भी झकझोर कर रख दिया है। इसके चलते इंटर कॉलेज के अध्यक्ष अविनाश शर्मा ने ग्राम नरखेड़ा स्थित मृतक के घर पहुंचकर शोक-संतप्त परिवार को ढांढस बंधाया एवं हर संभव मदद का भरोसा दिलाया तथा घटना की कड़े शब्दों में ङ्क्षनदा की गई। ब्लॉक प्रमुख पति राजकुमार, दलित नेता अनिल वाल्मीकि व सूरज सागर, सपा नेता अरङ्क्षवद यादव, युवा किसान नेता मंदीप नरवाल, सभासद मुकुंद शुक्ला आदि द्वारा भी घटना पर दु:ख प्रकट करते हुए शोक संवेदनाएं व्यक्त की हैं।
हाईस्कूल कर परिवार की आर्थिक मदद को शुरू की प्राइवेट नौकरी
हाईस्कूल तक की शिक्षा ग्रहण करने वाला धीरज परिवार में तीसरे नंबर की संतान था। उसकी बड़ी बहन पिंकी की सालभर पहले तथा भाई सूरज की करीब एक माह पूर्व ही शादी हुई है। छोटी बहन ङ्क्षरकी अभी 12-13 साल की हैं। परिवार की माली हालत सही नहीं होने के चलते उसने हाईस्कूल से आगे की शिक्षा ग्रहण नहीं की तथा करीब दो वर्ष पहले प्राइवेट नौकरी करके परिवार की आर्थिक मदद करने लगा।