Uttarakhand High Court : निचली अदालतों ने मुकदमे को स्थगित किया तो कारण बताना होगा

Uttarakhand High Court हाई कोर्ट ने निचली अदालतों में आपराधिक मुकदमों के शीघ्र निस्तारण के लिए गुरुवार को उत्तराखंड क्रिमिनल कोर्ट प्रोसिजर एंड प्रेक्टिस रूल्स 2021 की अधिसूचना जारी की है। इसमें 36 से अधिक नियम शामिल हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 07:55 AM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 07:55 AM (IST)
Uttarakhand High Court : निचली अदालतों ने मुकदमे को स्थगित किया तो कारण बताना होगा
Uttarakhand High Court : निचली अदालतों ने मुकदमे को स्थगित किया तो कारण बताना होगा

जागरण संवाददाता, नैनीताल : Uttarakhand High Court : हाई कोर्ट ने निचली अदालतों में आपराधिक मुकदमों के शीघ्र निस्तारण के लिए गुरुवार को उत्तराखंड क्रिमिनल कोर्ट प्रोसिजर एंड प्रेक्टिस रूल्स 2021 की अधिसूचना जारी की है। इसमें 36 से अधिक नियम शामिल हैं। इसमें स्पष्ट किया गया है कि अदालत को किसी जांच या मुकदमे को स्थगित करना पड़े तो कारण बताना होगा। गवाहों के परीक्षण को वरीयता दी जाएगी । अपरिहार्य कारण होने पर ही परीक्षण स्थगित किया जाएगा।

गुरुवार शाम हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल धनंजय चतुर्वेदी की ओर से जारी अधिसूचना में अभियोजन, बचाव पक्ष व न्यायालय के लिए दिशानिर्देश दिए गए हैं। कहा गया है कि क्रिमिनल कोर्ट के पीठासीन अधिकारी आवश्यक होने पर प्रश्न और उत्तर प्रारूप में बयान दर्ज करेंगे। अभियोजन या बचाव पक्ष के वकील की ओर से ली गई आपत्तियों को नोट कर साक्ष्य होने पर निर्णय लेंगे। जिरह के दौरान गवाह का खंडन करने के लिए इस्तेमाल किए गए कोड की धारा 161 के तहत दर्ज बयानों के प्रासंगिक हिस्से को ही निकाला जाएगा।

धारा 161 के तहत बयानों की रिकॉर्डिंग के लिए लागू नियम संहिता, धारा 164 के तहत दर्ज बयानों पर लागू होगी। जीवित लोगों के पूर्व बयान पुष्टि के लिए उपयोग किए गए तो आरोप तय करने के बाद अभियुक्तों की श्रेणी में केवल उनके जवाब संदर्भित किए जाएंगे। गवाह को अगली तारीख की तिथि स्पष्ट रूप से बताई जाएगी। आरोप तय होने के बाद आरोपित की श्रेणी में रैंक के आधार पर संदर्भित किया जाएगा।

पीठासीन अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि केवल स्वीकार्य भाग को चिह्नित किया जाय। दोषसिद्धि के मामले में, निर्णय में शामिल अपराध और दी गई सजा को अलग से दर्शाया जाएगा। बरी होने की स्थिति में अभियुक्त कारावास में है तो रिहा करने का निर्देश दिया जाएगा। निर्णय अनुच्छेदों में लिखा जाएगा। आरोप तय करने के तुरंत बाद अदालत साक्ष्य की रिकॉर्डिंग के लिए लगातार तारीखों का पता लगाने और तय करने के लिए एक समयबद्ध सुनवाई करेगी। अदालत जब तक गवाहों का परिक्षण न हो जाय तब तब लगातार तारीखों को इंगित करते हुए एक कार्यक्रम तैयार करेगी।

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