प्राधिकरण शुल्क हिस्सा मिला तो नगर निगम के खाते में सालाना आएंगे दो करोड़

जिला विकास प्राधिकरण के शुल्क से कुछ हिस्सा निकायों को प्राप्त होता था। कुछ वर्ष पहले पहले इस व्यवस्था को बदलते हुए निकायों का हिस्सा शून्य कर दिया गया। अब फिर से इसकी मांग उठने लगी है। पिछले साल हुई नगर निगम बोर्ड बैठक में इसका प्रस्ताव पारित किया था।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Sat, 10 Apr 2021 06:36 AM (IST) Updated:Sat, 10 Apr 2021 06:36 AM (IST)
प्राधिकरण शुल्क हिस्सा मिला तो नगर निगम के खाते में सालाना आएंगे दो करोड़
नगर आयुक्त ने बताया कि विकास प्राधिकरण से हिस्सेदारी मिलने से निकायों की आमदनी के स्रोत बढ़ेंगे।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत ने विकास प्राधिकरण शुल्क का 25 प्रतिशत हिस्सा निकायों को देने पर सैद्धांतिक सहमति दी है। फैसले को शासन की मंजूरी मिलने पर हल्द्वानी नगर निगम को सालाना दो करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा। जिसे शहर के विकास कार्यों पर खर्च किया जा सकेगा।

जिला विकास प्राधिकरण के शुल्क से कुछ हिस्सा निकायों को प्राप्त होता था। कुछ वर्ष पहले पहले इस व्यवस्था को बदलते हुए निकायों का हिस्सा शून्य कर दिया गया। अब फिर से इसकी मांग उठने लगी है। पिछले साल हुई नगर निगम बोर्ड बैठक में इसका प्रस्ताव पारित किया था। गुरुवार को देहरादून में हुई बैठक में मेयर डा. जोगेंद्र रौतेला समेत दूसरे निकायों के पार्षदों ने शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत के सामने मामला रखा। नैनीताल जिला विकास प्राधिकरण साल में एक हजार से अधिक मानचित्र स्वीकृत करता था। प्राधिकरण बोर्ड के सदस्य पार्षद धीरेंद्र रावत का कहना है कि हमारी मांग 50 प्रतिशत हिस्सेदारी निकायों को देने की है। शासन स्तर पर 25 फीसद हिस्सेदारी देने पर भी सहमति बनती है तो हल्द्वानी नगर निगम को सालाना डेढ़ से दो करोड़ का राजस्व प्राप्त होगा। 

जनसुविधा उपलब्ध कराने का जिम्मा निकायों पर 

प्राधिकरण बोर्ड सदस्य धीरेंद्र रावत का कहना है कि प्राधिकरण केवल नक्शा पास करता है, लेकिन शहर में विकास कार्यों की जिम्मेदारी निकायों पर होती है। साफ-सफाई, नालियों की मरम्मत, स्ट्रीट लाइट, सीवरेज जैसी जनसुविधा निकाय उपलब्ध कराते हैं। प्राधिकरण से हिस्सेदारी मिलने से विकास कार्य कराने में मदद मिलेगी। 

नगर आयुक्त  सीएस मर्तोलिया ने बताया कि विकास प्राधिकरण से हिस्सेदारी मिलने से निकायों की आमदनी के स्रोत बढ़ेंगे। इससे विकास कार्य करने में मदद मिलेगी। बजट की कमी के चलते कई बार बहुत जरूरी काम भी अटक जाते हैं।

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