अस्पताल गांव में और इलाज साठ किमी दूर, 16 वर्ष से अस्पताल में लगा है ताला

ओखलकांडा के ग्राम सभा नाई के अस्पताल की वास्तविकता पर सामने आती है। अस्पताल में 16 वर्ष से ताला लटका पड़ा है। पूर्व में इस अस्पताल से क्षेत्र की लगभग बीस हजार की आबादी तक उपचार मिलता था। आज भी ग्रामीणों को साठ किमी दूर जाना मजबूरी है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 11:26 AM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 11:26 AM (IST)
अस्पताल गांव में और इलाज साठ किमी दूर, 16 वर्ष से अस्पताल में लगा है ताला
2003 में चिकित्सक की मौत हो गयी थी तब से अस्पताल में किसी भी डाक्टर की नियुक्ति नहीं की गयी।

जागरण संवाददाता, भीमताल : स्वस्थ समाज की बात करने वाली सरकार के दावे की हकीकत विकासखंड ओखलकांडा के ग्राम सभा नाई के अस्पताल की वास्तविकता पर सामने आती है। अस्पताल में 16 वर्ष से ताला लटका पड़ा है। पूर्व में इस अस्पताल से क्षेत्र की लगभग बीस हजार की आबादी तक उपचार मिलता था। विषम भौगोलिक परिस्थितियों  में आज भी ग्रामीणों को साठ किमी दूर इलाज के लिये जाना मजबूरी है। अफसोस इस अस्पताल की ना तो किसी जनप्रतिनिधि ने और ना ही कभी सरकारी अफसर ने सुध ली और ना ही अस्पताल को खुलवाने का प्रयास किया। ग्रामीणों ने आज भी अस्पताल की वस्तुओं को सजो के रखा है।

मामला विकासखंड के नाई में सन् 1953 में स्थापित आयुवेर्दिक अस्पताल के सहारे चकदलाड, नाई, कोटली, परमधार, भूमका, उडियारी, सलाड़ी के लगभग बीस हजार की आबादी  निर्भर है। ग्रामीण मदन सिंह नयाल,  पूर्व प्रधान भगवती देवी, प्रधान चकदलाड़ गीता देवी और तारी देवी प्रधान नाई बताते हैं कि 2003 में अस्पताल में कार्यरत चिकित्सक डा एनडी डालाकोटी की दिल का दौरा पडऩे के कारण मौत हो गयी थी तब से अस्पताल में किसी भी डाक्टर की नियुक्ति नहीं की गयी।

अस्पताल में डाक्टर आने की आस में ग्रामीणों ने कई समय तक अस्पताल के दरवाजे को खुला रखा। यह सिलसिला लगभग तीन वर्ष तक जारी रहा। तीन वर्ष बाद ग्रामीणों ने अस्पताल में ताला लगा दिया और अस्पताल की सफाई आदि करते रहे।  इस पर भी जब विभाग नहीं चेता तो ग्रामीणों ने  अस्पताल का समस्त समान एक कमरे में बंद कर दिया। आज क्षेत्र के लगभग एक दर्जन ग्राम सभा के बीस हजार से अधिक आबादी को ग्राम सभा से लगभग साठ किमी दूर पहाड़पानी में इलाज करने जाना पड़ रहा है।

हजारों के समान का कोई रहनुमा नही।

अस्पताल में जिस समय ताला पड़ा उस समय अस्पताल में दवाईयां, अन्य चिकित्सा के समान तथा कार्यालय का समान मौजूद था। जिसको ग्रामीणों ने सुरक्षा के साथ रखा हुआ है। अस्पताल में चिकित्सकों की नियुक्ति विभाग ने नहीं की। यह समस्या है। पर सरकारी समान में 16 वर्ष के बाद भी किसी भी विभाग ने अपना दावा प्रस्तुत नहीं किया। यह विभागों की कार्यप्रणाली को दर्शाता है।

पूर्व प्रधान भगवती देवी नाई ने बताया कि पूर्व में भी कई बार इस बंद पड़े अस्पताल के बारे में संबधित विभाग को बताया गया है। पर  उन लोंगों के मुताबिक जिस समय का अस्पताल है तब जिला पंचायत के द्वारा ये अस्पताल संचालित होते थे। वर्तमान में सारा समान एक कमरे में और कमरे के भीतर एक अलमारी में रखा गया है।

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