हाईकोर्ट के आदेश से पीड़ित महिला को न्याय मिलने की उम्मीदें बढ़ी

हाईकोर्ट के आदेश से पीड़ित महिला को न्याय मिलने की उम्मीद प्रबल हुई है। अब तक केस की विवेचना में हल्द्वानी कोतवाली पुलिस ढील डाले हुई थी। जेल प्रशासन ने भी मुकदमा दर्ज होने के बावजूद बंदी रक्षकों को उप कारागार हल्द्वानी से हटाना मुनासिब नहीं समझा था।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 02:13 PM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 02:13 PM (IST)
हाईकोर्ट के आदेश से पीड़ित महिला को न्याय मिलने की उम्मीदें बढ़ी
हाईकोर्ट के आदेश से पीड़ित महिला को न्याय मिलने की उम्मीदें बढ़ी

काशीपुर, श्याम मिश्रा : हाईकोर्ट के आदेश से पीड़ित महिला को न्याय मिलने की उम्मीद प्रबल हुई है। अब तक केस की विवेचना में हल्द्वानी कोतवाली पुलिस ढील डाले हुई थी। जेल प्रशासन ने भी मुकदमा दर्ज होने के बावजूद बंदी रक्षकों को उप कारागार हल्द्वानी से हटाना मुनासिब नहीं समझा था। हत्या जैसे जघन्य अपराध में नामजद आरोपी लगातार जेल में ड्यूटी कर रहे थे। केस के इकलौते गवाह सितारगंज निवासी राहुल श्रीवास्तव का अभी तक बयान तक दर्ज नहीं हुआ है।

पांच मार्च कुंडेश्वरी चौकी पुलिस ने स्थानीय निवासी एक युवक को बेटी से छेड़छाड़ और पोक्सो एक्ट की धाराओं में कोर्ट के समक्ष पेश कर हल्द्वानी जेल भेजा। इसके अगले ही दिन 6 मार्च को उसकी मौत की खबर कुंडेश्वरी चौकी पुलिस के जरिए पत्नी व अन्य स्वजनों तक पहुंची। पत्नी को लगा कि उसका इकलौता सहारा छिन गया। ऐसे में वह 5 बच्चों के साथ विलाप करते हुए न्याय मांगने के लिए सड़क किनारे बैठ गई। शुरुआती दौर में महिला ने कुंडेश्वरी चौकी पुलिस पर पिटाई करने और बाद में इसी पिटाई से उसकी मौत को जाने का आरोप लगाया था।

लेकिन बाद में महिला ने जेल से रिहा हुए सितारगंज निवासी राहुल श्रीवास्तव के बयानों के आधार पर जेल कर्मियों के खिलाफ 26 मई को कोर्ट के आदेश से हल्द्वानी कोतवाली में बंदी रक्षकों सहित चार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। मुकदमा दर्ज हुए अब लगभग 2 महीने का लंबा समय बीत चुका है लेकिन अभी तक पुलिस की जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है। मामले के इकलौते गवाह राहुल श्रीवास्तव का बयान तक दर्ज नहीं हो सका है। अब हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया है तो परिवार में न्याय की उम्मीद जगी है।

मामले को हाई कोर्ट ले जाने वाले काशीपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव कुमार आकाश कहते हैं कि उन्हें और पीड़ित परिवार को शुरुआत से पुलिस और जेल प्रशासन पर भरोसा नहीं था। केस की जांच जिस रफ्तार से चल रही थी उससे अंदाजा लगाया जा सकता था कि विवेचना का अंजाम क्या होगा। अभी तक केस के गवाह के बयान तक दर्ज नहीं हो सके थे। लेकिन हाईकोर्ट के फैसले ने न्याय की प्रबल उम्मीद जगा दी है। सीबीआई से न्याय की पूरी उम्मीद है।

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