ओलंपिक में जीत से हॉकी खिलाडिय़ों और कोच ने जताई खुशी, कहा बढ़ेेगा राष्ट्रीय खेल के प्रति क्रेज

भारतीय हॉकी टीम को भले ही कास्य पदक से संतोष करना पड़ा हो लेकिन यह उपलब्धि स्वर्ण पदक जीतने से कम नहीं है। 41 साल के लंबे इंतजार के बाद भारत ने ओलंपिक खेलों में हॉकी का कोई पदक जीता है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 09:59 PM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 09:59 PM (IST)
ओलंपिक में जीत से हॉकी खिलाडिय़ों और कोच ने जताई खुशी, कहा बढ़ेेगा राष्ट्रीय खेल के प्रति क्रेज
देश में हॉकी का माहौल बनेगा और युवा वर्ग इस खेल की ओर आकर्षित होगा।

जागरण संवाददाता, चम्पावत : टोक्यो ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम को भले ही कास्य पदक से संतोष करना पड़ा हो, लेकिन यह उपलब्धि स्वर्ण पदक जीतने से कम नहीं है। 41 साल के लंबे इंतजार के बाद भारत ने ओलंपिक खेलों में हॉकी का कोई पदक जीता है। इस जीत से पूरे देश के साथ चम्पावत जिले की जनता भी शामिल है। हॉकी खिलाडिय़ों एवं खेल प्रेमियों में तो इस जीत से भविष्य की उम्मीद भी नजर आ रही है।

टनकपुर स्टेडियम के हॉकी कोच प्रकाश बिष्ट का कहना है कि ओलंपिक में पदक जीतना बड़ी उपलब्धि होती है। चाहे वह कोई भी पदक हो। हां स्वर्ण पदक की उम्मीद सभी को रहती है। उन्होंने बताया कि 41 साल बाद हॉकी में ओलंपिक पदक आना हॉकी खेल और खिलाड़ी दोनों के भविष्य के लिए हितकर है। इससे देश में हॉकी का माहौल बनेगा और युवा वर्ग इस खेल की ओर आकर्षित होगा।

स्टेडियम के पूर्व कोच सतीश जोशी भी इसे हॉकी के भविष्य को संवारने के लिए सुनहरा अवसर मानते हैं। उनका कहना है कि जब से भारतीय टीम जीती है तब से हॉकी के चर्चे होने लगे हैं। हॉकी से जुड़े लोगों के लिए इससे अच्छी बात कुछ नहीं हो सकती। चम्पावत के खेल कोच डा. हरिशंकर गहतोड़ी, मयंक ओली का कहना है कि ओलंपिक में भारत की जीत सही मायने में हॉकी की जीत है। अब यहां से देश में हॉकी खेल को क्रिकेट की तरह लोकप्रियता मिल सकती है। बशर्ते सरकारें हॉकी को बढ़ावा देने का प्रयास जारी रखें।

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ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक जीतकर भारतीय हॉकी टीम ने देश का गौरव तो बढ़ाया ही है। देश में हॉकी खेल के भविष्य के रास्ते भी खोल दिए हैं। इस जीत से देश में हॉकी अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा प्राप्त करेगी। इस बात की सौ फीसदी संभावना है। भारतीय टीम ने हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।

-रोहित सिंह, हॉकी खिलाड़ी (राष्ट्रीय खेलों में प्रतिभाग)

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जर्मनी जैसी मजबूत टीम को ओलंपिक में पटकनी देनी भारतीय टीम की बहुत बड़ी उपलब्धि है। देश 41 साल से ओलंपिक में पदक जीतने का इंतजार कर रहा था। भारतीय टीम ने इस सपने को साकार कर दिया है। स्वर्ण पदक न जीत पाने का मलाल है, लेकिन जीत जीत है। इससे देश में हॉकी को बढ़ावा मिलेगा।

मितेश सिंह, हॉकी खिलाड़ी (राष्ट्रीय खेलों में प्रतिभाग)

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राष्ट्रीय खेल होने के बाद भी हॉकी को क्रिकेट के बराबर सम्मान व क्रेज नहीं मिलता है। ओलंपिक में 41 साल बाद भारत ने कांस्य पदक जीतकर देश में इस खेल के प्रति लोगों का प्यार एक बार फिर बढ़ा दिया है। भारतीय टीम को इस जीत के लिए बधाई। सरकार से मांग है कि हॉकी खिलाडिय़ों और कोचों को बेहतर सुविधाएं दी जाएं।

अभिषेक, हॉकी खिलाड़ी (राष्ट्रीय खेलों में प्रतिभाग)

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ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम की जीत से पूरा देश गर्व महसूस कर रहा है। इससे देश के हॉकी खिलाडिय़ों एवं कोचों का मान सम्मान भी बढ़ा है। इस खेल से जुड़े लोग भी स्वयं को गौरवांन्वित महसूस कर रहे हैं। यह जीत भारतीय हॉकी के सुनहरे भविष्य के लिए उपयोगी साबित होगी।

रोहित कुमार, हॉकी खिलाड़ी, टनकपुर स्टेडियम

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भारतीय हॉकी टीम को जीत की बधाई। ओलंपिक में हॉकी टीम की जीत और पदक मिलना हॉकी के भविष्य के लिए जरूरी था। अब यहां से इस खेल को आगे बढऩे के अवसर दिए जाने चाहिए। सरकार को हॉकी खिलाडिय़ों एवं कोचों को बेहतर सुविधाएं देकर युवा प्रतिभाओं को आगे बढऩे के अवसर देने चाहिए। इससे हॉकी फिर से प्रतिष्ठित होगी।

-हिमांशु कुमार, हॉकी खिलाड़ी, टनकपुर स्टेडियम

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