उत्‍तराखंड के हरदयाल सिंह की बदौलत भारत ने 1956 में जीता था ओलंपिक में गोल्‍ड मेडल

1956 में मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया में हुए ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम के कप्‍तान थे बलबीर सिंह सीनियर। 28 नवंबर 1956 को अमेरिका के खिलाफ हुए मैच में कप्तान बलबीर सिंह के घायल होने के बाद 27 वर्षीय हरदयाल सिंह को मैदान पर उतारा गया।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 10:12 AM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 05:33 PM (IST)
उत्‍तराखंड के हरदयाल सिंह की बदौलत भारत ने 1956 में जीता था ओलंपिक में गोल्‍ड मेडल
उत्‍तराखंड के हरदयाल सिंह की बदौलत भारत ने 1956 में जीता था ओलंपिक में गोल्‍ड मेडल

नैनीताल जागरण संवाददाता : भारत के राष्‍ट्रीय खेल हॉकी के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है। भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने जर्मनी को 5-4 से हराकर 41 साल बाद ओलंपिक में कांस्य पदक अपने नाम कर कर लिया है। इसके पहले भारत ने 1980 में ओलिंपिक में पदक जीता था। ऐसे में एक बार‍ फिर से भारत में हॉकी को अपना खोया हुआ गौरव और इसके के प्रति युवाओं का जुनून वापस लौटने की उम्‍मीद है। गर्व के इस पल में हम आपको उत्‍तराखंड के उस हॉकी प्‍लेयर का किस्‍सा बताने जा रहे हैं जिसकी बदौलत 1956 में भारत ने मेलबर्न, आस्ट्रेलिया में हुए ओलंपिक में स्‍वर्ण पदक जीता था। नाम-हरदयाल सिंह। देहरादून निवासी हरदयाल सिंह 17 अगस्त 2018 को 90 साल की उम्र में इस दुनिया को विदा कह गए... लेकिन भारत के लिए उनका योगदान पीढि़यों तक याद रखा जाएगा।

हरदयाल सिंह ने किया था पांच गोल

1956 में मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया में हुए ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम के कप्‍तान थे बलबीर सिंह सीनियर। 28 नवंबर 1956 को अमेरिका के खिलाफ हुए मैच में कप्तान बलबीर सिंह के घायल होने के बाद 27 वर्षीय हरदयाल सिंह को मैदान पर उतारा गया। उस मैच में हरदयाल सिंह ने मजबूत मानी जाने वाली अमेरिकन टीम के खिलाफ पांच गोल दागे, जबकि भारतीय खिलाड़ियों ने अमेरिका को एक भी गोल करने का मौका तक नहीं दिया था। उस मैच में भारतीय टीम ने अमेरिका को 16-0 से रौंदकर जीता था। इस ऐतिहासिक जीत उस ओलंपिक में भारत के मेडल जीतने के इरादे का पक्‍का कर दिया था।

भारत के खिलाफ कोई टीम नहीं कर सकी थी गोल

1956 के मेलबर्न ओलंपिक खेलों में कुल 12 हॉकी टीमें तीन ग्रुप में हिस्‍सा ले ले रही थीं। भारतीय हॉकी टीम ने तीनों ग्रुप में अपने सभी मैच जीते थे। भारत ने अपनी जीत की शुरुआत अफगानिस्तान को 14-0 से हराकर की थी। 28 नवंबर 1956 को अमेरिका के खिलाफ 16-0 से जीत दर्ज की। 30 नवंबर 1956 को ग्रुप 'ए' के पांचवें मैच में भारतीय टीम ने सिंगापुर की टीम के 6-0 से पराजित किया। 3 दिसंबर 1956 को हुए सेमीफाइनल के रोमांचक मुकाबले में भारत ने जर्मनी को 1-0 से पराजित किया। फाइनल में भारत का मुकाबला पाकिस्तान की टीम से था। जिसे भारत ने 1-0 से पाकिस्तान को हरा कर जीत लिया था। तब तक ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम की ये छठी जीत थी। ये ओलंपिक में टीम खेल में किसी भी देश के लिए एक रिकॉर्ड था।

भारतीय सेना में सूबेदार बने

हॉकी से रिटायरमेंट लेने के बाद हरदयाल सिंह सन 1983 से 1987 तक भारतीय हॉकी टीम के कोच भी रहे। नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्टेडियम में मुख्य कोच के रूप में पदभार संभालने से पहले इन्होंने जूनियर राष्ट्रीय टीम को भी प्रशिक्षण दिया। 2004 में हॉकी में अमूल्य योगदान के लिए खेलों में प्रतिष्ठित ध्यानचंद पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वहीं, सिंह उत्तराखंड में वरिष्ठ हॉकी कोच के रूप में भी सम्मानित किए गए। हरदयाल सिंह सन 1969 में भारतीय सेना से सूबेदार के पद से रिटायर हुए थे।

स्‍पोर्ट्स कोटे में सेना में मिली थी नौकरी

हॉकी खेलने से पहले कुछ समय तक हरदयाल सिंह भारतीय सर्वेक्षण विभाग देहरादून में भी कार्यरत रहे। अपने एक परिचित के कहने पर ये भारतीय सेना में शामिल हो गए। हालांकि इस समय तक ये बहुत अच्छी हॉकी खेल लेते थे। इसका फायदा इन्हें मिला भी और इन्हें सन 1949 में भारतीय सेना की सिख रेजीमेंट में स्पोर्ट्स कोटे के तहत भर्ती कर लिया गया। सेना में भर्ती होने के बाद इन्हें एक सिख रेजीमेंट में जवान के तौर पर कमीशन्ड मिला। बाद में इन्हें 7सात सिख रेजीमेंट में भेज दिया गया। जहां इनका ज्यादातर सैन्य समय सिख रेजीमेंट हॉकी टीम के खिलाड़ी के तौर पर बीतता था। फिर, इन्हें सिख रेजीमेंट हॉकी टीम में कोच कम मैनेजर का पद भी दिया गया।

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