हाईकोर्ट ने कहा-पीडि़त समस्या लेकर जाता है, पुलिस केस दर्ज नहीं करती

हाईकोर्ट की खंडपीठ ने शुक्रवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान पुलिस की कार्यप्रणाली पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि पीडि़त अपनी समस्या लेकर पुलिस के पास जाता है उसके बाद भी पुलिस केस दर्ज नहीं करती

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Fri, 17 Sep 2021 08:45 PM (IST) Updated:Fri, 17 Sep 2021 08:45 PM (IST)
हाईकोर्ट ने कहा-पीडि़त समस्या लेकर जाता है, पुलिस केस दर्ज नहीं करती
हाईकोर्ट ने कहा-पीडि़त समस्या लेकर जाता है, पुलिस केस दर्ज नहीं करती

जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाईकोर्ट की खंडपीठ ने शुक्रवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान पुलिस की कार्यप्रणाली पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि पीडि़त अपनी समस्या लेकर पुलिस के पास जाता है, उसके बाद भी पुलिस केस दर्ज नहीं करती, जिसका उदाहरण यह है कि उच्च न्यायालय में प्रत्येक दिन सुरक्षा दिलाने को लेकर दायर होते हैं। कोर्ट ने महाधिवक्ता से कहा है कि डीजीपी को निर्देश जारी किए जाएं कि पुलिस के पास भूमि से संबंंधित विवाद या सुरक्षा संबंधी जो भी शिकायतें आती हैं, उन्हें गंभीरता से लेते हुए मामला दर्ज करने व दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सुरक्षा मुहैया कराने के निर्देश हरिद्वार के एसएसपी को दिए हैं।

शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हरिद्वार की तेजिंदर जीत सिंह कौर की सुरक्षा दिलाने से संबंधित मामले में सुनवाई की। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि कैलाशनंद स्वामी उनकी जमीन को हड़पना चाहते हैं। स्वामी से जानमाल का खतरा है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि उसने 2019 में पुलिस को शिकायती पत्र दिया था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। याचिकाकर्ता के अनुसार निचली अदालत ने भी उनकी जमीन को बेचने या खुर्दबुर्द करने पर रोक लगाई है, इसके बाद भी विपक्षी ने उनकी जमीन बेच दी।

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गहरी नाराजगी व्यक्त की। कोर्ट ने कहा कि पीडि़त व्यक्ति अपनी समस्या लेकर पुलिस के पास जाता है, उसके बाद भी पुलिस केस दर्ज नहीं करती, जिसका उदाहरण हाई कोर्ट प्रत्येक दिन सुरक्षा दिलाने को लेकर केस दायर होते हैं। याचिकाकर्ता के मामले में कोई कार्रवाई नहीं करने पर उच्च न्यायालय परिसर में आत्महत्या करने की धमकी के मामले को भी खंडपीठ ने गंभीरता से लिया और याचिकाकर्ता को हिदायत दी कि यदि दुबारा से ऐसी हरकत की तो कोर्ट ऐसे में उसके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई अमल में ला सकती हैं। हालांकि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की ओर से इस मामले में अदालत से क्षमा याचना की गयी।

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