विश्व प्रसिद्ध कार्बेट नेशनल पार्क में अतिक्रमण पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार और पार्क निदेशक से मांगा जवाब

हाईकोर्ट ने Corbett National Park में होटल रिसॉर्ट्स संचालकों के अतिक्रमण मामले का स्वतः संज्ञान लिया है। कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार राज्य के प्रमुख वन संरक्षक निदेशक सीटीआर वार्डन सीटीआर को नोटिस जारी कर आठ नवंबर तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 01:50 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 09:25 AM (IST)
विश्व प्रसिद्ध कार्बेट नेशनल पार्क में अतिक्रमण पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार और पार्क निदेशक से मांगा जवाब
सीटीआर में अतिक्रमण का हाईकोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान, सरकार, पार्क निदेशक से मांगा जवाब

नैनीताल, जागरण संवाददाता : हाई कोर्ट ने विश्व प्रसिद्ध कार्बेट नेशनल पार्क में होटल व रिसार्ट संचालकों के अतिक्रमण का बुधवार को स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई की। मामले में केंद्र सरकार, राज्य सरकार, उत्तराखंड के प्रमुख वन संरक्षक, कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) के निदेशक व वार्डन को नोटिस जारी कर आठ नवंबर तक जवाब तलब कर लिया। कोर्ट ने सभी से पूछा है कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की ओर से गठित कमेटी की सिफारिशों पर अब तक कितना अमल किया गया और पार्क की कौन-कौन सी जगहों पर अतिक्रमण किया गया है।

हाई कोर्ट ने एक समाचार पत्र में प्रकाशित खबर का जनहित याचिका के रूप में स्वत: संज्ञान लिया है। इसमें कहा गया है कि सीटीआर में होटल-रिसार्ट बड़े पैमाने पर अतिक्रमण कर जैव विविधता को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इससे वन्य जीवों के प्राकृतिक विचरण में खलल पैदा हो रहा है। एनटीसीए ने मामले में कमेटी बनाई थी। रिपोर्ट में अतिक्रमण का जिक्र करते हुए उसे हटाने व जिम्मेदार वन अधिकारियों पर कार्रवाई की बात कही गई थी। लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान मुख्य स्थाई अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने बताया कि सरकार रिपोर्ट पर पहले से जांच कर रही है। इसपर कोर्ट ने पूछा कि किन-किन इलाकों में अतिक्रमण किया गया है? इसपर स्पष्ट जवाब नहीं मिल सका।

कोर्ट ने इन्हें बनाया पक्षकार

हाई कोर्ट ने मामले में भारत सरकार, प्रदेश सरकार, सचिव वन एवं पर्यावरण, वन्य जीव सलाहकार बोर्ड, मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक व डीएफओ को पक्षकार बनाया है।

दिल्ली हाई कोर्ट के अधिवक्ता की शिकायत पर खुला मामला

उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता गौरव बंसल ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि सीटीआर की मोरघट्टी, पोखरो रेस्ट हाउस के आसपास अवैध निर्माण किए जा रहे हैं। इसपर दिल्ली हाई कोर्ट ने एनटीसीए को याचिकाकर्ता के प्रत्यावेदन को निस्तारित करने का निर्देश दिया।

रिपोर्ट ने खोली अफसरों की पोल

एनटीसीए ने मामले की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी, जिसने बीते 24 अक्टूबर को कार्बेट पार्क का दौरा किया। इस दौरान पाया कि नेशनल पार्क के मोरघट्टी व फारेस्ट रेस्ट हाउस परिसर के कई क्षेत्रों में अवैध निर्माण चल रहे हैं। इनमें होटल, पुल, रोड, भवन आदि शामिल हैं। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को इन क्षेत्रों से शीघ्र अतिक्रमण हटाने व अतिक्रमण को शह देने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए कहा था। कमेटी ने रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया था कि वन विभाग के अधिकारियों ने वन्य जीव संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन किया है।

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