जंगलों में लगने के मामले में हाई कोर्ट ने पीसीसीएफ को व्यक्तिगत रूप से किया तलब
हाई कोर्ट ने प्रदेश के जंगलों में लगने वाली आग का स्वत संज्ञान लिए जाने वाली जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई की। इस दौरान सरकार की ओर से पेश शपथपत्र से असंतुष्ट कोर्ट ने सरकार को विस्तृत शपथ पत्र पेश करने के निर्देश दिए।
जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने प्रदेश के जंगलों में लगने वाली आग का स्वत: संज्ञान लिए जाने वाली जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई की। इस दौरान सरकार की ओर से पेश शपथपत्र से असंतुष्ट कोर्ट ने सरकार को विस्तृत शपथ पत्र पेश करने के निर्देश दिए। साथ ही पीसीसीएफ को भी 15 सितंबर को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई 15 सितंबर को होगी।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में इन द मैटर आफ प्रोटेक्शन आफ फॉरेस्ट एरिया हेल्थ एंड वाइल्ड लाइफ से जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने इसका स्वत: संज्ञान 2018 में लिया था। कोर्ट ने वन विभाग में रिक्त 65 प्रतिशत पदों को छह माह में भरने, ग्राम पंचायतों को मजबूत करने के साथ साथ वर्ष भर जंगर्लं की निगरानी करने को लेकर शपथपत्र पेश करने को कहा था, मगर सरकार की ओर से पेश हलफनामे में सिर्फ खाली पदों पर पदोन्नति व नई भर्ती के संबंध में अधूरी जानकारी दी गई थी। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया।
2016 में जंगलों को आग से बचाने के लिए जारी की थी गाइडलान
इस साल जंगलों मे आग लगने पर अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली व राजीव बिष्ठ ने कोर्ट के समक्ष प्रदेश के जंगलों में लग रही आग के संबंध में कोर्ट को अवगत कराया था कि अभी प्रदेश के कई जंगल आग से जल रहे हैं और प्रदेश सरकार ठोस कदम नहीं उठा रही है, जबकि हाईकोर्ट ने 2016 में जंगलो को आग से बचाने के लिए भी गाइडलाइन जारी की थी। कोर्ट के आदेश के बाद आज तक आग बुझाने के लिए कमेटियां गठित नहीं की गई । सरकार जहां आग बुझाने के लिए हेलीकाप्टर का उपयोग कर रही है उसका खर्चा बहुत अधिक है और पूरी तरह से आग भी नहीं बुझती है। कोर्ट ने समाचार पत्रों में दावानल से संबंधित खबरों का गम्भीरता से संज्ञान लिया था।