स्टोन क्रशर की अनुमति देने के मामले में हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव व उद्योग सचिव को किया तलब
कोर्ट ने इस मामले में दस जून को मुख्य सचिव व सचिव उद्योग को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के निर्देश दिए हैं। पूछा कि राज्य सरकार द्वारा स्टोन क्रेशर लगाने की अनुमति देने से पूर्व साइलेंट जोन इंडस्ट्रियल ज़ोन और रेजिडेंशियल जोन का निर्धारण क्यों नहीं किया गया है।
जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाईकोर्ट ने रामनगर के शक्खनपुर में संचालित मनराल स्टोन क्रशर के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने इस मामले में दस जून को मुख्य सचिव व सचिव उद्योग को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने सरकार से पूछा है क राज्य सरकार द्वारा स्टोन क्रेशर लगाने की अनुमति देने से पूर्व साइलेंट जोन, इंडस्ट्रियल ज़ोन और रेजिडेंशियल जोन का निर्धारण क्यों नहीं किया गया है। कोर्ट ने इस मामले में सुस्पष्ट जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता द्वारा अवगत कराया कि राज्य को बने हुए 20 साल हो गए है। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि कौन सा क्षेत्र रेजीडेंशियल है कौन सा क्षेत्र इंडस्ट्रियल और कौन सा क्षेत्र साइलेंट जॉन। जहां मर्जी हो वहां स्टोन क्रशर खोले जाने के अनुमति दे दी जा रही है। जबकि बिना जोन का निर्धारण किये ध्वनि प्रदूषण का मापन नहीं किया जा सकता।
रामनगर निवासी आनन्द सिंह नेगी ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि कार्बेट नेशनल पार्क के समीप सक्खनपुर में मनराल स्टोन क्रेशर अवैध रूप से चल रहा है। स्टोन क्रेशर के पास पीसीबी का लाइसेंस नही है। स्टोन क्रेशर कार्बेट नेशनल पार्क के समीप लगाया है। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है उत्तराखंड में अभी तक राज्य सरकार द्वारा राज्य में साइलेंट ज़ोन, इंडस्ट्रियल ज़ोन और रेजिडेंशियल ज़ोन का निर्धारण नही किया है , बावजूद इसके किसी भी जगह स्टोन क्रशर लगाने की अनुमति दे दी जाती है। लिहाजा इन स्टोन क्रशरों को बंद किया जाए।
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