फेल छात्रों को बिना टीसी प्रवेश देने के मामले में हाईकोर्ट सख्त, सचिव विद्यालयी शिक्षा को दिए जांच के आदेश

कोर्ट ने मुख्य शिक्षा अधिकारी हरिद्वार व सचिव विद्यालयी शिक्षा निर्देश दिए है कि डायरेक्टर जनरल ऑफ स्कूल एजुकेशन द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए चार माह में मामले की जांच करें और स्कूलों व अभिभावकों को साथ लेकर इसमे ठोस नियम बनाएं।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 04:54 PM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 04:54 PM (IST)
फेल छात्रों को बिना टीसी प्रवेश देने के मामले में हाईकोर्ट सख्त, सचिव विद्यालयी शिक्षा को दिए जांच के आदेश
पात्र छात्रों को स्कूलों में एडमिशन नहीं मिल पा रहा है और वह शिक्षा से वंचित हो रहे है।

जागरण संवाददाता, नैनीताल। हाईकोर्ट ने सीबीएसई, आइसीएससी और उत्तराखंड सरकार से मान्यता प्राप्त स्कूलों द्वारा शिक्षा का अधिकार के नियमों का उल्लंघन कर 9वीं व 11वीं की परीक्षा में अनुत्तीर्ण छात्रों को बिना (टीसी) ट्रांसफर सर्टिफिकेट के 10वीं व 12वीं कक्षाओं में प्रवेश देने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की।

कोर्ट ने मुख्य शिक्षा अधिकारी हरिद्वार व सचिव विद्यालयी शिक्षा निर्देश दिए है कि डायरेक्टर जनरल ऑफ स्कूल एजुकेशन द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए चार माह में मामले की जांच करें और स्कूलों व अभिभावकों को साथ लेकर इसमे ठोस नियम बनाएं।

सोमवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ में सीबीएसई व आईसीएससी स्कूल एजुकेशन एसोसिएशन के चेयरमैन रुड़की हरिद्वार की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के अनुसार उंसके द्वारा डायरेक्टर जनरल स्कूल एजुकेशन और सचिव स्कूल एजुकेशन उत्तराखंड को प्रत्यावेदन देकर मांग की है कि उत्तराखंड में इन बोर्डो से मान्यता प्राप्त कुछ स्कूलों द्वारा सीबीएसई व आईसीएससी के नियमों का उल्लंघन करते हुए बिना टीसी के अपने स्कूल में 10वीं व 12वीं की कक्षाओं में  प्रवेश दिया जा रहा है, जबकि दूसरे स्कूलों में वे छात्र 9वीं व 11वीं कक्षाओं में अनुत्तीर्ण हुए है। इसके परिणामस्वरूप पात्र छात्रों को उन स्कूलों में एडमिशन नहीं मिल पा रहा है और वह शिक्षा से वंचित हो रहे है।

याचिकाकर्ता का कहना है कि इस फर्जीवाड़े पर रोक लगाई जाय। याचिकाकर्ता  का यह भी  कहना है कि उनके द्वारा दिये गए प्रत्यावेदन पर  27 नवम्बर 2020 को  डायरेक्टर जनरल स्कूल एजुकेशन ने मुख्य शिक्षा अधिकारी हरिद्वार से मामले में जांच करने के आदेश जारी किए,  ताकि इसपर रोक लग सके। इसके बावजूद अभी तक इसमे कोई उचित कदम नहीं उठाया गया। जिससे फर्जीवाड़े को और बढ़ावा मिल रहा है।

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