नेशनल पार्कों से गुर्जर परिवारों को बेदखल करने के मामले में कमेटी गठित करने को मांगा अतिरिक्त समय

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राजाजी नेशनल पार्क के श्यामपुर रेंज समेत कार्बेट नेशनल पार्क क्षेत्र में रह रहे गुर्जर परिवारों को बेदखल करने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने मामले में छह सप्ताह के भीतर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने के आदेश पारित किए थे।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Tue, 29 Sep 2020 11:54 AM (IST) Updated:Tue, 29 Sep 2020 04:29 PM (IST)
नेशनल पार्कों से गुर्जर परिवारों को बेदखल करने के मामले में कमेटी गठित करने को मांगा अतिरिक्त समय
नेशनल पार्कों से गुर्जर परिवारों को बेदखल करने के मामले में कमेटी गठित करने को मांगा अतिरिक्त समय!

नैनीताल, जेएनएन : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राजाजी नेशनल पार्क के श्यामपुर रेंज समेत कार्बेट नेशनल पार्क क्षेत्र में रह रहे गुर्जर परिवारों को बेदखल करने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने मामले में छह सप्ताह के भीतर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने के आदेश पारित किए थे। वहीं अब तक कमेटी गठित न कर पाने पर सरकार ने अदालत से अतिरिक्त समय मांगा है। जिसके बाद कोर्ट ने तीन सप्ताह का समय दिया है।

न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया व न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ में गैर सरकारी संगठन थिंक एक्ट राइज फाउंडेशन की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कहा गया था राजाजी नेशनल पार्क से 1610 गुर्जर परिवारों को बेदखल किया गया। उत्तराखंड में दस हजार के करीब वन गुर्जर परिवार रहते हैं। इन्हें पार्कों के आसपास रहते 75 साल हो गए हैं। इस हिसाब से उन्हें जमीन का कानूनी अधिकार मिलने के साथ प्रबंधन का अधिकार भी मिल गया है।

याचिका में गुर्जरों को अधिकार देने की बजाए बेदखल कर दिया जा रहा है। उन पर फर्जी केस लगा दिए गए। हटाने से पहले नोटिस तक नहीं दिया गया। कानूनी प्रक्रिया का अनुपालन नहीं किया गया। याचिका में गुर्जरों को कानूनी अधिकार से वंचित करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने व उन्हें कानूनी अधिकार दिलाने की मांग की गई है। उल्लेखनीय है कि वन गुर्जरों के मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट में आधा दर्जन के करीब याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं।

मामले में छह सप्ताह पहले कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने के आदेश पारित किए थे। कमेटी में न्यायिक सदस्यों के साथ ही एनजीओ के सदस्यों को शामिल करने का निर्देश है। कमेटी जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के साथ मामले के समाधान को सुझाव देगी।

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