खराब दाल वितरण मामले में हाईकोर्ट ने खाद्य सचिव, डीएम यूएस नगर, एडीएम व डीएसओ से मांगा जवाब
दैनिक जागरण ने घुन पका रहे गरीबों की दाल शीर्षक से पिछले साल अक्टूबर में खबर प्रकाशित की तो पूर्ति विभाग के अधिकारियों व कोटेदारों में हड़कंप मच गया। आनन-फानन गोदाम से खराब दाल उठाकर कोटेदारों ने कार्डधारकों को बेच दी थी।
रुद्रपुर, जागरण संवाददाता : दैनिक जागरण ने 'घुन 'पका' रहे गरीबों की दाल' शीर्षक से पिछले साल अक्टूबर में खबर प्रकाशित की तो पूर्ति विभाग के अधिकारियों व कोटेदारों में हड़कंप मच गया। आनन-फानन गोदाम से खराब दाल उठाकर कोटेदारों ने कार्डधारकों को बेच दी थी। एडीएम की जांच में डीएसओ, पूर्ति निरीक्षक व विपणन निरीक्षक दोषी पाए गए थे। पूर्ति निरीक्षक की जांच में 16 कोटेदारों के लाइसेंस निरस्त करने की संस्तुति की गई थी मगर यह मामला डीएम पटल पर जाकर थम गया। खराब दाल वितरण मामले में हाईकोर्ट ने खाद्य सचिव, डीएम यूएस नगर, एडीएम व डीएसओ को चार सप्ताह में जवाब देने को नोटिस भेजा है।
पिछले साल कोरोना काल में गरीबों की थाली में दाल दिख सके, इसके लिए मुख्यमंत्री पोषित दाल योजना के तहत चना साबूत, चना, अरहर, उड़द, मसूर कोटेदारों के माध्यम से राशनकार्ड धारकों को निश्शुल्क दी जानी थी। मगर पूर्ति विभाग की लापरवाही से पीडीएस के गोदाम में सीलन से दाल में फंगस व घुन लग गए थे। पैकेटों को चूहे कतर दिए थे। जागरण में 24 अक्टूबर, 2020 को पड़ताल करती हुई खबर लगी तो जिला प्रशासन के साथ ही पूर्ति विभाग में खलबली मच गई थी।
इस मामले में डीएम रंजना राजगुुरु ने तत्कालीन डीएसओ श्याम आर्या को जांच सौंप दी। इस बीच दीपावली में अवकाश का फायदा उठाते हुए 12 नवंबर, 2020 की रात गोदाम से खराब दाल का उठान कर कार्डधारकों को बेच दी गई। राज्य औषधि एवं खाद्य विश्लेषक लैब रुद्रपुर में दाल के दो नमूनों की जांच कराई गई तो एक नमूना फेल पाया गया। डीएसओ की जांच रिपोर्ट में 16 कोटेदार ऐसे पाए गए, जिन्होंने दाल का उठान नहीं किया था। इस रिपोर्ट पर कोटेदारों ने डीएम से मिले। इस पर डीएम ने एडीएम जगदीश चंद्र कांडपाल को जांच सौंप दी।
जांच रिपोर्ट में तत्कालीन डीएसओ श्याम आर्या, पूर्ति निरीक्षक व विपणन निरीक्षक को जिम्मेदार ठहराया गया। इसके बावजूद कार्रवाई नहीं की गई। मामला शासन तक पहुंच गया और तत्कालीन खाद्य उपायुक्त कुमाऊं राहुल ने रुद्रपुर में पीडीएस गोदाम की जांच की तो दाल की स्थिति देख वह भी दंग रह गए थे और उन्होंने दाल खराब होने की बात स्वीकारी थी। उन्होंने इसकी रिपोर्ट भी शासन को भेज दी थी। पूर्ति निरीक्षक की जांच में 16 कोटेदारों दोषी पाए गए थे और डीएसओ ने इन कोटेदारों के लाइसेंस निरस्त करने की संस्त़ुति कर डीएम को रिपोर्ट भेजी थी।
इसके बावजूद अधिकारियों व कोटेदारों की मिलीभगत से कार्रवाई नहीं हो सकी। यह मामला डीएम की पटल तक अटक कर रह गया। राशन वितरण में धांधली मामले में तत्कालीन डीएसओ आर्या को प्रशासनिक आधार पर देहरादून से संबद्ध कर दिया गया था। मगर किसी अधिकारी व कोटेदारों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। इससे लोग जिला प्रशासन व पूर्ति विभाग की अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाने लगे थे,मगर अधिकारियों की सेहत पर इसका फर्क नहीं पड़ा। ग्राम बगवाड़ा रुद्रपुर निवावी किरनदीप सिंह विर्क ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की तो बुधवार को इस मामले में खाद्य सचिव, डीएम रंजना राजगुरु यूएस नगर, एडीएम जगदीश चंद्र कांडपाल यूएस नगर व डीएसओ यूएस नगर को नोटिस भेजकर चार सप्ताह में जवाब देने का आदेश जारी किया है।
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