एनजीटी के आदेश पर हस्तक्षेप करने से हाई कोर्ट की एकलपीठ का इन्कार, जानिए क्‍या है मामला

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा सिडकुल सितारगंज रुद्रपुर की जिन 17 कंपनियों पर प्रदूषण फैलाने पर 17 करोड़ का जुर्माना लगाया है उस पर हाईकोर्ट के न्यायधीश न्यायमूर्ति मनोज तिवारी की एकलपीठ ने हस्तक्षेप करने से इन्कार कर द‍िया।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Wed, 20 Jan 2021 12:46 PM (IST) Updated:Wed, 20 Jan 2021 12:46 PM (IST)
एनजीटी के आदेश पर हस्तक्षेप करने से हाई कोर्ट की एकलपीठ का इन्कार, जानिए क्‍या है मामला
एनजीटी के आदेश पर हस्तक्षेप करने से हाई कोर्ट की एकलपीठ का इन्कार, जानिए क्‍या है मामला

नैनीताल, जागरण संवाददाता : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा सिडकुल सितारगंज रुद्रपुर की जिन 17 कंपनियों पर  प्रदूषण फैलाने पर 17 करोड़  का जुर्माना लगाया है, उस पर हाईकोर्ट के न्यायधीश न्यायमूर्ति मनोज तिवारी की एकलपीठ ने हस्तक्षेप करने से इन्कार करते हुए इन कंपनियों को हाईकोर्ट की डबल बेंच, एनजीटी या फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की सलाह दी है।

उत्तराखंड राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड (सिडकुल) की फैक्ट्रियों द्वारा प्रदूषण किए जाने का आरोप लगाते हुए सिद्घ गर्ब्यांग कल्याण समिति ने 12 मार्च 2018 को राज्य सरकार व प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के खिलाफ एनजीटी में वाद दायर किया था। ग्रामीणों का आरोप था कि प्रदूषण से वनस्पति, खेती, वन्य जीव और मानव जीवन प्रभावित हो रहा है। वायु व जल प्रदूषण के कारण गांव के लोग बीमार हो रहे हैं और गांवों को भी क्षति पहुंच रही है।

एनजीटी ने सुनवाई करते हुए केंद्रीय व राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को जांच के आदेश दिए थे। इस पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 19 मई 2018 से 31 जनवरी 2020 तक कंपनियों का समय-समय पर निरीक्षण कर आंकलन रिपोर्ट तैयार की थी और निरीक्षण के साथ ही एनजीटी को रिपोर्ट भी भेजी थी। तीन दिसंबर 2019 को एनजीटी ने केंद्रीय एवं राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश देते हुए बोर्ड की संयुक्त कमेटी गठित कर गांव में प्रभावित लोगों को मुआवजा देने के लिए सर्वे करने के निर्देश दिए। साथ ही पर्यावरणीय क्षति का आकलन और प्रदूषण रोकने को कहा था।

इस पर 31 जुलाई 2020 को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्घि ने छह सदस्यीय कमेटी बनाकर फैक्ट्रियों के पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के आकलन और प्रभावितों को दी जाने वाली धनराशि का आकलन करने को कहा था। अगस्त महीने में एसपीसीबी ने सिडकुल के कॉमन इंफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी), बालाजी एक्शन कंपनी, रेकिट बेनकीजर, जैनजसन, एगमिको फेवकेट्स, एवरग्रीन मोटल, फ्लिपगार्ड फिल्टर्स, स्टोर वेज इंडस्ट्रीज, एसएनबी, हैंकल एडीशिव टेक्नोलॉजी, वेस्टर्न कंसोलिडेटेड, पारले एग्रो प्राइवेट लिमिटेड, गुजरात अंबुजा एक्सपोर्ट लिमिटेड समेत 17 कंपनियों को प्रदूषण फैलाने और अनापत्ति प्रमाण पत्र से अधिक जल संचय करने के आरोप में करीब 17 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। सितंबर महीने में इसके खिलाफ इन फैक्ट्रियों ने हाईकोर्ट नैनीताल में याचिका दायर की। जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के न्यायधीश न्यायमूर्ति मनोज  तिवारी की एकलपीठ ने जनवरी के पहले हफ्ते में उक्त याचिका खारिज कर दी।

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