रुड़की नगर निगम की भूमि पर बनी दुकानों के गलत आवंटन मामले में हाईकोई ने मांगा जवाब

उच्च न्यायालय ने रुड़की में नगर निगम की भूमि पर बने दुकानों को बिना किसी विज्ञप्ति के चहेतों को आवंटित करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने सुनवाई के बाद पक्षकारों को दो सप्ताह में अपने-अपने जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Tue, 07 Sep 2021 08:16 AM (IST) Updated:Tue, 07 Sep 2021 01:53 PM (IST)
रुड़की नगर निगम की भूमि पर बनी दुकानों के गलत आवंटन मामले में हाईकोई ने मांगा जवाब
रुड़की नगर निगम की भूमि पर बनी दुकानों के गलत आवंटन मामले में हाईकोई ने मांगा जवाब

जागरण संवाददाता, नैनीताल : उच्च न्यायालय ने रुड़की में नगर निगम की भूमि पर बने दुकानों को बिना किसी विज्ञप्ति के चहेतों को आवंटित करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने सुनवाई के बाद पक्षकारों को दो सप्ताह में अपने-अपने जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। सुनवाई के दौरान नगर निगम की तरफ से बताया गया कि इन आवंटित दुकानों को सील कर दिया गया है जबकि मुख्य नगर आयुक्त नुपूर वर्मा के तबादले के मामले में सरकार ने बताया कि उनकी यह नियुक्ति 2019 की तबादला नियमावली के तहत की गई है और 2019 कि नियमावली में होम टाउन में तैनाती वाला प्रावधान है। मामले को सुनने के बाद अगली सुनवाई के लिए दो सप्ताह बाद की तिथि नियत की है।

सोमवार को वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में रुड़की निवासी आशीष सैनी की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें कहा गया है कि आशीष सैनी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि नगर निगम द्वारा अपनी भूमि पर 2011 से 2013 के बीच करीब 24 दुकानों का निर्माण किया था, जिन्हें तत्कालीन मेयर द्वारा बिना किसी विज्ञप्ति के अपनों को ही आवंटित कर दिया। बाद में दुकानों के छतों का अधिकार भी आवंटियों को दे दिया गया। 2015 में तत्कालीन मेयर ने इस मामले को याचिका दायर कर हाई कोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने डीएम हरिद्वार को मामले की जांच कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे। जांच रिपोर्ट में आवंटन में गड़बड़ी की पुष्टि हुई।

इस आदेश को दुकानदारों द्वारा याचिका दायर कर चुनौती दी थी। कोर्ट ने याचिकाएं खारिज कर सचिव शहरी विकास को दुकानें खाली कराने के मामले में अंतिम निर्णय लेने व दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए थे। कोर्ट के आदेश पर सचिव शहरी विकास ने दुकानों का आवंटन निरस्त कर दिया। साथ ही माना कि आवंटन में प्रक्रिया का अनुपालन नहीं किया गया। हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए 2020 तक दुकानें खाली कराने का समय दिया था।

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