हाई कोर्ट ने पुलिस सुधार से संबंधित मामले में सरकार से मांगा शपथ पत्र

हाई कोर्ट ने पुलिस सुधार से संबंधित दिशा-निर्देशों का अनुपालन नहीं होने का स्वत संज्ञान लेते हुए सरकार को पूरक शपथ पत्र पेश करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट पुलिस सुधार से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के क्रियान्वयन की खुद ही मॉनिटरिंग कर रहा है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 12 Aug 2021 07:31 AM (IST) Updated:Thu, 12 Aug 2021 07:31 AM (IST)
हाई कोर्ट ने पुलिस सुधार से संबंधित मामले में सरकार से मांगा शपथ पत्र
हाई कोर्ट ने पुलिस सुधार से संबंधित मामले में सरकार से मांगा शपथ पत्र

जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने पुलिस सुधार से संबंधित दिशा-निर्देशों का अनुपालन नहीं होने का स्वत: संज्ञान लेते हुए सरकार को पूरक शपथ पत्र पेश करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट पुलिस सुधार से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के क्रियान्वयन की खुद ही मॉनिटरिंग कर रहा है। अब अगली सुनवाई पहली सितंबर को होगी।

बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि पुलिस सेवा सुधार के संबंध में कमेटियों का गठन कर दिया है। अन्य दिशा-निर्देशों का भी अनुपालन किया जा रहा है। कोर्ट ने सरकार को मामले में पूरक शपथ पत्र कुछ दिनों बाद दाखिल करने की छूट प्रदान कर दी।

2013 में सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस सुधारों को लेकर राज्यों के लिए तमाम दिशा-निर्देशों पर अमल करने को कहा था। इसमें पुलिस के रिक्त पदों को भरने, आंदोलनों से कानून व्यवस्था के लिए होने वाली दिक्कतों से निपटने के तौर तरीके आदि मुख्य थे। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि पुलिस की स्वच्छ कार्यशैली, अधिकारियों की नियुक्ति में पारदर्शिता और मानवाधिकारों का संरक्षण जरूरी है। आधुनिक व प्रगतिशील भारत के निर्माण व विधि के शासन के लिए पुलिस सुधार आवश्यक ही नहीं अपरिहार्य हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में 2019 में उत्तराखंड हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश जारी किए थे।

कोविड टेस्टिंग में फर्जीवाड़ा रोकने के मामले में सरकार से मांगी रिपोर्ट

हाई कोर्ट ने कोरोना जांच रिपोर्ट के नाम पर हो रहे फर्जीवाड़े व ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर को आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे में लाने को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई की। इसमें राज्य सरकार को 25 अगस्त तक रिपोर्ट पेश करने को कहा है। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि कोरोना जांच रिपोर्ट के नाम पर हो रहे फर्जीवाड़े को रोकने के लिए बार कोड आवश्यक करने को स्वास्थ्य सचिव की ओर से आईसीएमआर को पत्र लिखा गया है। लेकिन आईसीएमआर की ओर से अभी तक इस संबंध में कोई जवाब नहीं दिया गया है। इसके बाद अदालत ने प्रदेश सरकार से इस संबंध में 25 अगस्त तक जवाब देने को कहा है। अदालत ने अधिवक्ता आदित्य प्रताप सिंह की ओर से लिखे पत्र का स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले को जनहित याचिका के रूप में लिया है। अधिवक्ता सिंह ने पत्र में कहा है कि ऑनलाइन फर्जीवाड़ा रोकने के लिये कोरोना जांच रिपोर्ट में बार कोड आवश्यक किया जाए। प्रदेश की सीमाओं पर बार कोड स्कैन मशीन लगाने से इस फर्जीवाड़े को रोका जा सकता है।

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