तीसरी लहर से निपटने के लिए डाक्टरों की व्यवस्था करे सरकार : हाई कोर्ट

हाई कोर्ट ने चारधाम की तैयारियों और कोरोना की तीसरी लहर से बचाव को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सख्त रुख अपनाया। स्वास्थ्य सचिव से पूछा कि प्रदेश में बच्चों के कितने वार्ड कितने अस्पतालों में हैं उन पर कितने पीडियाट्रिक बेड हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 07:01 AM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 07:01 AM (IST)
तीसरी लहर से निपटने के लिए डाक्टरों की व्यवस्था करे सरकार : हाई कोर्ट
तीसरी लहर से निपटने के लिए डाक्टरों की व्यवस्था करे सरकार : हाई कोर्ट

नैनीताल, जागरण संवाददाता : हाई कोर्ट ने चारधाम की तैयारियों और कोरोना की तीसरी लहर से बचाव को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सख्त रुख अपनाया। स्वास्थ्य सचिव से पूछा कि प्रदेश में बच्चों के कितने वार्ड, कितने अस्पतालों में हैं, उन पर कितने पीडियाट्रिक बेड हैं। ग्रामस्तर पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पूरे प्रदेश में कितने ऑक्सीजन कंसट्रेटर व सिलिंडर की सुविधा है, कितनों में नहीं। कहा कि तीसरी लहर में यदि डाक्टरों की कमी पड़ती है तो सुरक्षा बल, सेना के चिकित्सकों की सेवाएं लेने के लिए सरकार अभी से तैयारी करे।

स्वास्थ्य सचिव अगले शपथ पत्र में बताएंगे कि प्रदेश में कितने गांव सड़क से जुड़े नहीं हैं, इन गांवों का निकटस्थ रोड हेड कितनी दूर है। स्वास्थ्य विभाग व 108 सेवा के पास कितनी एंबुलेंस हैं। सभी कहां-कहां तैनात हैं। कितनी एंबुलेंस संचालन व कितनी बेकार पड़ी हैं। कोर्ट ने यह भी पूछा कि कोविड की तीसरी लहर के लिए बाल रोग विशेषज्ञों की जो हाईपावर कमेटी बनाई गई थी उसकी संस्तुतियों के अनुपालन की स्थिति क्या है? कोर्ट ने कहा कि रामनगर में हमारे आदेश पर छोटा निजी कोविड अस्पताल बनाया गया था। अब तीसरी लहर के लिए रामनगर के लिए क्या तैयारियां हैं। बड़े अस्पताल तीसरे लहर के लिए कितने तैयार हैं। कोर्ट ने पौड़ी में लवाली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाओं की बहाली व पानी कनेक्शन के निर्देश भी दिए।

कोर्ट की तल्ख टिप्पणियां

- राज्य सरकार की डेथ ऑडिट पूर्णतया अस्पष्ट व भ्रमित करने वाली है। अधिकतर मृत्यु हृदयगति रुकने से बताई गई है। - दूसरी लहर में कितने लोग कोविड के कारण काल कवलित हुए, यह नहीं बताया गया है। स्वास्थ्य सचिव तर्कहीन तथ्य प्रस्तुत कर रहे हैं। - मृत्यु का ऑडिट करते समय कोर्ट के आदेश का उल्लंघन हुआ। राज्य सरकार के निकायों की ओर से जारी मृत्यु प्रमाणपत्रों के सापेक्ष मृत्यु की गणना नहीं की गई। राज्य सरकार की डेथ ऑडिट की सत्यता को कोर्ट स्वीकार नहीं कर सकती। - सात जुलाई को मुख्य सचिव, स्वास्थ्य सचिव व अपर सचिव पर्यटन व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होंगे और शपथपत्र विस्तृत विवरण के साथ दाखिल करेंगे।

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