गृह सचिव व जेल महानिदेशक की रिपोर्ट से हाई कोर्ट नैनीताल नाखुश, जेलों का दैरा कर सात तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश

हाई कोर्ट ने प्रदेश की जेलों में सीसीटीवी कैमरे व अन्य सुविधाओं को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में बुधवार को गृह सचिव व जेल महानिदेशक पेश हुए हुए।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Wed, 17 Nov 2021 04:32 PM (IST) Updated:Wed, 17 Nov 2021 04:32 PM (IST)
गृह सचिव व जेल महानिदेशक की रिपोर्ट से हाई कोर्ट नैनीताल नाखुश, जेलों का दैरा कर सात तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश
गृह सचिव व जेल महानिदेशक की रिपोर्ट हाई कोर्ट नैनीताल नाखुश

नैनीताल, जागरण संवाददाता : हाई कोर्ट ने प्रदेश की जेलों में सीसीटीवी कैमरे व अन्य सुविधाओं को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में बुधवार को गृह सचिव व जेल महानिदेशक पेश हुए हुए। कोर्ट उनके ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट से सन्तुष्ट नहीं हुई और फटकार लगाते हुए दोनों अधिकारियों से कहा कि वे प्रदेश की सभी जेलों का दौरा करें, वहां कैसी व्यवस्था है, कैदी किस हाल में रह रहे हैं, इसकी रिपोर्ट सात दिसम्बर तक कोर्ट में पेश करें। अगली सुनवाई आठ दिसंबर को नियत की गई है।

बाउंड्री बनाने में ही खर्च हो गए सात करोड़

पूर्व में जेल महानिदेशक ने कोर्ट में कहा था कि पिथौरागढ़ में नई जेल बन रही है, जिसका बजट भी पास हो गया है। कोर्ट द्वारा संज्ञान लेने पर पता चला कि जेल तो नहीं बनी सात करोड़ रुपया बाउंड्री बनाने में ही खर्च हो गया, वहीं चंपावत जेल में कैदियों का खाना बाथरूम में बन रहा है। कोर्ट ने सरकार को यह भी सुझाव दिया है कि छोटे अपराध के सम्बंध में बंद कैदियों को पैरोल पर छोड़ा जा सकता है या नहीं, इस पर भी विचार किया जाए।

राज्य के जेलों क्षमता, 35 सौ, कैदी साढ़ेे छह हजार से अधिक

राज्य के सभी जेलों की क्षमता करीब 35 सौ के आस पास है, जबकि वर्तमान में साढ़े छः हजार से अधिक कैदी जेलों में बंद हैं। कैदियों के अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है। कोर्ट ने चंपावत की जिला जेल का उदारहण देते हुए कहा कि जिला जेल में छः महिला कैदी अभी अंडर ट्रायल में बंद हैं, जिस कमरे में वे रह रहीं हैं वह कमरा 10 ×10 का है। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि क्या यह कमरा छः लोगों के रहने के लिए पर्याप्त है। क्या यह मानवाधिकार के अधिकारों का उल्लंघन नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का नहीं हुआ पालन

मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में सन्तोष उपाध्याय व अन्य ने अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई। कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में एक आदेश जारी कर सभी राज्यों से कहा था कि अपने राज्य की जेलों में सीसीटीवी कैमरे लगाएं और जेलों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराएं। राज्य में राज्य मानवाधिकार आयोग के खाली पड़े पदों को भरने के आदेश जारी किए थे, लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद भी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया।

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