ध्यान केंद्र के रूप में सामने आएगी धरोहर, 121 वर्ष पहले स्वामी विवेकानंद ने यहां लगाया था ध्यान

स्वामी विवेकानंद ने 1901 में दियूरी गांव स्थित डाक बंगले में रात्रि विश्राम व ध्यान किया था। अनुयायी इसे ऐतिहासिक धरोहर की क्षति बता रहे हैं तो स्थानीय लोग इसे बेहतर पहल। लोगों का कहना है कि टिनशेड नुमा डाक बंगला बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Thu, 09 Sep 2021 06:08 AM (IST) Updated:Thu, 09 Sep 2021 06:08 AM (IST)
ध्यान केंद्र के रूप में सामने आएगी धरोहर, 121 वर्ष पहले स्वामी विवेकानंद ने यहां लगाया था ध्यान
विवेकानंद ट्रेल में श्यामलाताल, दियूरी, मायावती आश्रम समेत अन्य पर्यटक स्थलों को विकसित किया जाना है।

जागरण संवाददाता, चम्पावत : जिला मुख्यालय से 21 किमी दूर दियूरी गांव में स्वामी विवेकानंद ने जिस डाक बंगले में रुक कर ध्यान लगाया था उसे लोनिवि ध्यान केंद्र बना रहा है। स्वामी विवेकानंद के अनुयायी इसे ऐतिहासिक धरोहर की क्षति बता रहे हैं तो स्थानीय लोग इसे बेहतर पहल। लोगों का कहना है कि टिनशेड नुमा डाक बंगला बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था।

स्वामी विवेकानंद ने 1901 में दियूरी गांव स्थित डाक बंगले में रात्रि विश्राम व ध्यान किया था। वहां पर बार्डर एरिया डेवपलपमेंट प्रोग्राम (बीएडीपी) के तहत लोनिवि 22 लाख रुपया खर्च कर ध्यान केंद्र बना रही है। ध्यान केंद्र के चारों ओर सुरक्षा दीवार का निर्माण पूरा कर दिया गया है। पर्यटकों और स्वामी जी की धरोहरों से प्रेम रखने वाले लोगों ने डाक बंगले को हटाने पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि टिनशेड से बिना छेड़छाड़ किए पास में ध्यान केंद्र का निर्माण किया जाना चाहिए था।

 
पर्यटन सर्किट से जुड़ेगा दियूरी स्थित ध्यान केंद्र
पर्यटक स्थलों को विकसित करने व पर्यटकों की आवाजाही बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा 'द हब आफ हैवन चम्पावतÓ के तहत पर्यटन सर्किट बनाया जा रहा है। पर्यटन सर्किट में स्वामी विवेकानंद टे्रल और जिम कार्बेट ट्रेल को शामिल किया गया है। इन दोनों ट्रेलों में जनपद के प्रमुख पौराणिक, ऐतिहासिक स्थलों व मंदिरों के साथ-साथ एडवेंचर टूरिज्म वाले स्थलों को शामिल किया गया है। विवेकानंद ट्रेल में श्यामलाताल, दियूरी, मायावती आश्रम समेत अन्य पर्यटक स्थलों को विकसित किया जाना है।
 
ईई लोनिवि एमसी पांडेय का कहना है कि टिनशेड जिसे डाक बंगला कहा जाता था वह पूरी तरह जीर्ण शीर्ण हो चुका था। ग्रामीणों की सहमति पर ही उस स्थान पर ध्यान केंद्र बनाया जा रहा है। इससे उस स्थान की महत्ता और अधिक बढ़ जाएगी। निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। दियूरी से चल्थी तक सड़क प्रस्तावित की गई है। सड़क निर्माण के बाद यहां पर्यटकों की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी होगी।  
 
चम्पावत से स्वामी जी का है जुड़ाव
चम्पावत से स्वामी विवेकानंद का काफी गहरा जुड़ाव रहा है। उनकी यादों को रामकृष्ण मिशन की ओर से प्रकाशित पुस्तक युगनायक विवेकानंद भाग-तीन में उनकी हिमालय की अंतिम यात्रा के तौर पर विस्तार से प्रकाशित किया गया है। पुस्तक के अनुसार 28 अक्टूबर 1900 को स्वामी जी के परम शिष्य और अद्वैत आश्रम मायावती के संस्थापक अंगे्रज कैप्टन सेवियर का देहावसान हो गया था। उस समय स्वामी जी पेरिस की यात्रा पर थे। स्वदेश लौटने के बाद उन्होंने सेवियर की पत्नी को सांत्वना देने के लिए मायावती आश्रम जाने का निर्णय लिया।

वह कोलकाता से 29 दिसंबर 1900 को रेल से काठगोदाम पहुंचे। उसके बाद वह काठगोदाम से धारी, पहाड़पानी, मोरनौला, धूनाघाट होते हुए तीन जनवरी 1901 को मायावती आश्रम पहुंचे। जहां पर स्वामी जी ने 17 जनवरी 1901 तक प्रवास किया। उनकी वापसी की यात्रा 18 जनवरी को शुरू हुई। इस दौरान वह मायावती से पैदल चल कर चम्पावत पहुंचे और रात्रि विश्राम किया। अगले दिन यहां से उनका काफिला दियूरी गांव पहुंचा। उन्होंने एक रात दियूरी में विश्राम किया। दूसरे दिन वह श्यामलाताल होते हुए टनकपुर की ओर रवाना हुए।

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