ध्यान केंद्र के रूप में सामने आएगी धरोहर, 121 वर्ष पहले स्वामी विवेकानंद ने यहां लगाया था ध्यान
स्वामी विवेकानंद ने 1901 में दियूरी गांव स्थित डाक बंगले में रात्रि विश्राम व ध्यान किया था। अनुयायी इसे ऐतिहासिक धरोहर की क्षति बता रहे हैं तो स्थानीय लोग इसे बेहतर पहल। लोगों का कहना है कि टिनशेड नुमा डाक बंगला बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था।
जागरण संवाददाता, चम्पावत : जिला मुख्यालय से 21 किमी दूर दियूरी गांव में स्वामी विवेकानंद ने जिस डाक बंगले में रुक कर ध्यान लगाया था उसे लोनिवि ध्यान केंद्र बना रहा है। स्वामी विवेकानंद के अनुयायी इसे ऐतिहासिक धरोहर की क्षति बता रहे हैं तो स्थानीय लोग इसे बेहतर पहल। लोगों का कहना है कि टिनशेड नुमा डाक बंगला बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था।
स्वामी विवेकानंद ने 1901 में दियूरी गांव स्थित डाक बंगले में रात्रि विश्राम व ध्यान किया था। वहां पर बार्डर एरिया डेवपलपमेंट प्रोग्राम (बीएडीपी) के तहत लोनिवि 22 लाख रुपया खर्च कर ध्यान केंद्र बना रही है। ध्यान केंद्र के चारों ओर सुरक्षा दीवार का निर्माण पूरा कर दिया गया है। पर्यटकों और स्वामी जी की धरोहरों से प्रेम रखने वाले लोगों ने डाक बंगले को हटाने पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि टिनशेड से बिना छेड़छाड़ किए पास में ध्यान केंद्र का निर्माण किया जाना चाहिए था।
वह कोलकाता से 29 दिसंबर 1900 को रेल से काठगोदाम पहुंचे। उसके बाद वह काठगोदाम से धारी, पहाड़पानी, मोरनौला, धूनाघाट होते हुए तीन जनवरी 1901 को मायावती आश्रम पहुंचे। जहां पर स्वामी जी ने 17 जनवरी 1901 तक प्रवास किया। उनकी वापसी की यात्रा 18 जनवरी को शुरू हुई। इस दौरान वह मायावती से पैदल चल कर चम्पावत पहुंचे और रात्रि विश्राम किया। अगले दिन यहां से उनका काफिला दियूरी गांव पहुंचा। उन्होंने एक रात दियूरी में विश्राम किया। दूसरे दिन वह श्यामलाताल होते हुए टनकपुर की ओर रवाना हुए।