कुलपति प्रो. एनके जोशी की नियुक्ति को चुनौती देती पर सुनवाई एक अक्टूबर को

हाई कोर्ट ने कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. एनके जोशी की नियुक्ति को चुनौती देती याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद अगली तिथि एक अक्टूबर नियत की है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 09:18 AM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 09:18 AM (IST)
कुलपति प्रो. एनके जोशी की नियुक्ति को चुनौती देती पर सुनवाई एक अक्टूबर को
कुलपति प्रो. एनके जोशी की नियुक्ति को चुनौती देती पर सुनवाई एक अक्टूबर को

जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. एनके जोशी की नियुक्ति को चुनौती देती याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद अगली तिथि एक अक्टूबर नियत की है। देहरादून निवासी राज्य आंदोलनकारी रवींद्र जुगरान ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि कुलपति निर्धारित योग्यता और अर्हता पूरी नहीं रखते हैं। उन्होंने आवेदन पत्र के साथ संलग्न बायोडाटा में गलत जानकारी दी है। कुलपति के लिए प्रोफेसर के पद पर 10 वर्ष का अनुभव या किसी शोध संस्थान या अकादमिक प्रशासनिक संस्थान में समान पद का अनुभव होना चाहिए। वह किसी भी राजकीय विश्वविद्यालय या संस्था में कभी भी प्रोफेसर पद पर नहीं रहे।

याचिका में लगाए गए आरोप प्रो. एनके जोशी कुलपति पद हेतु निर्धारित योग्यता और अर्हता नहीं रखते हैं। जोशी ने कुलपति के पद के आवेदन पत्र के साथ संलग्न बायोडाटा में गलत और भ्रामक जानकारियां दी हैं। कुलपति के पद पर किसी व्यक्ति की तैनाती के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और यूपी यूनिवर्सिटीज एक्ट में नियम बने हैं। इसके लिए किसी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर 10 वर्ष का अनुभव या किसी शोध संस्थान या अकादमिक प्रशासनिक संस्थान में समान पद पर अनुभव निर्धारित किया है। कुलपति के पद पर नियुक्ति के लिए निर्धारित प्रक्रिया के अंर्तगत पहले कुलाधिपति राज्यपाल योग्य उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित करते हैं। इसके बाद एक सर्च कमेटी का गठन किया जाता हैं। ये सर्च कमेटी योग्य उम्मीदवारों से तीन अभ्यर्थियों का चयन करती है। इसके बाद राज्यपाल उन तीन अभ्यर्थियों में से एक को कुलपति के रूप में नामित करते हैं। प्रो. एनके जोशी की शिक्षा संबधी अभिलेख भ्रामक हैं। उन्होंने एमएससी भौतिक विज्ञान से किया है और पीएचडी वन विज्ञान विषय में और प्रोफसर पद पर सेवा कम्प्यूटर साइंस विषय में किया है। वह किसी भी राजकीय विश्वविद्यालय या संस्था में कभी भी प्रोफेसर के पद पर नहीं रहे इसलिए वह कुलपति के लिए निर्धारित योग्यता और अर्हता भी नहीं रखते हैं। सर्च कमेटी द्वारा उनका चयन नियमों के विरुद्ध जाकर किया है, लिहाजा उनको कुलपति के पद से हटाया जाय।

chat bot
आपका साथी