उत्तराखंड में कोविड से 37 मौत, आरटीपीसीआर टेस्ट में कमी, रिपोर्ट मिलने में देरी व इंजेक्शन खत्म होने का मामला हाईकोर्ट पहुंचा, सुनवाई आज

उत्तराखंड में आईसीयू व वेंटिलेटर की कमी के साथ रेमडेसिविर का स्टॉक खत्म होने का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ आज सवा दस बजे इस मामले को लेकर दाखिल प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करेगा।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 07:30 AM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 07:30 AM (IST)
उत्तराखंड में कोविड से 37 मौत, आरटीपीसीआर टेस्ट में कमी, रिपोर्ट मिलने में देरी व इंजेक्शन खत्म होने का मामला हाईकोर्ट पहुंचा, सुनवाई आज
आरटीपीसीआर टेस्ट में कमी, रिपोर्ट मिलने में देरी व इंजेक्शन खत्म होने का मामला हाईकोर्ट पहुंचा, सुनवाई आज

नैनीताल, जागरण संवाददाता : उत्तराखंड में एक दिन में कोविड से 37 मौत के बीच स्वास्थ्य अव्यवस्था, आईसीयू व वेंटिलेटर की कमी के साथ रेमडेसिविर का स्टॉक खत्म होने का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ आज सवा दस बजे इस मामले को लेकर दाखिल प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करेगा। अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने यह प्रार्थना पत्र दाखिल किया है। दुष्यंत की अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं में कमी व महामारी के दौर में प्रवासियों को नहीं मिल रही सुविधाओं को लेकर भी जनहित याचिका विचाराधीन है। इसी याचिका में महाकुंभ के इंतजाम का भी अदालत ने संज्ञान लेकर महत्वपूर्ण आदेश जारी किए थे।

युवा पीढ़ी को प्रभावित कर रहा कोविड का वायरस

अधिवक्ता दुष्यंत ने पत्र में कहा है कि 17 अप्रैल को उत्तराखंड में 17000 से अधिक सक्रिय मामले सामने आए हैं। कोविड -19 वायरस का पैटर्न दिखाता है कि यह युवा पीढ़ी को प्रभावित कर रहा है। सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज़ फाउंडेशन द्वारा पिछले 57 हफ्तों के प्रासंगिक आंकड़ों का संकलन और विश्लेषण का हवाला देते हुए कहा है कि कोविड -19 संक्रमण की दर में पिछले दो दिनों से शुरू होने के दौरान 0.41% से 4.9% तक वृद्धि हुई है।

आईसीयू बेड और नॉन आईसीयू बेड की भारी कमी

तेजी बढ़ते मामलों की संख्या के कारण राज्य के अस्पतालों में आईसीयू बेड और नॉन आईसीयू बेड की भारी कमी हो गई है। विशेष रूप से देहरादून और हल्द्वानी के अस्पतालों में संक्रमित रोगियों के लिए बेड की भारी कमी है और वह निजी अस्पतालों में प्रवेश लेने के लिए बाध्य हैं, जहां या तो प्रवेश में कमी का हवाला देते हुए इनकार किया जा रहा है या अत्यधिक शुल्क लगाया जा रहा है, जो गरीब मरीजों के लिए स्थिति को और अधिक दयनीय बना रहा है।

नहीं है रेमडेसिविर इंजेक्शन का कोई स्टॉक

कोविड -19 के मरीजों के उपचार अधिकृत अस्पताल में एंटी वायरल इंजेक्शन रेमडेसिविर की भारी मांग है। डॉक्टर गंभीर कोविड रोगियों के लिए इंजेक्शन रेमडेसिविर निर्धारित कर रहे हैं, लेकिन अब उत्तराखंड में इंजेक्शन रेमडेसिविर का कोई स्टॉक नहीं है। भारी मांग और आपूर्ति आम जनता के बीच दहशत पैदा कर रही है और दवा की कालाबाजारी बढ़ रही है। रेमडेसिविर की कमी के बावजूद राज्य सरकार जनता के विश्वास को बढ़ाने के लिए आगे नहीं आई है। याचिका में जागरण की खबर का उल्लेख किया गया है। 13 अप्रैल को केंद्र सरकार की गाइडलाइन में अस्पतालों से रेमडेसिविर दवा का उपयोग विवेकपूर्ण और तर्कसंगत रूप से करने का आग्रह किया है। निर्देश दिया है कि इसे केवल उन अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए आपूर्ति की जानी चाहिए,जहां पर ऑक्सीजन की कमी है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने मेडिकल प्रैक्टिशनर्स से इंजेक्शन रेमडेसिविर के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए भी अनुरोध किया है और जनता से नहीं घबराने की अपील की है।

लेट से मिल रही है आरटीपीसीआर रिपोर्ट

पत्र के अनुसार राज्य में कोविड-19 वायरस का पता लगाने के लिए परीक्षण की धीमी गति, संक्रमण के बढ़ने को भी बढ़ा रही है। नमूना लेने के चार दिनों के बाद आरटीपीसीआर परीक्षणों का परिणाम घोषित किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में उपचार भी देरी से शुरू हो पा रहा है। परीक्षण किया गया व्यक्ति अन्य लोगों के संपर्क में है और उन्हें संक्रमित कर रहा है। स्वास्थ्य महानिदेशक ने भी इस तथ्य को स्वीकार किया है। नैनीताल जैसे जिलों में किए जा रहे परीक्षणों की संख्या बहुत कम है। यहां 18 अप्रैल को केवल 689 परीक्षण किए गए थे, जो राष्ट्रीय औसत की तुलना में बहुत कम हैं।

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