Char Dham Yatra 2021 : चार धाम यात्रा से रोक हटी, आरटीपीसीआर रिपोर्ट और वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट जरूरी

Char Dham Yatra 2021 Char Dham Yatra 2021 उत्तराखंड हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा को शुरू करने को लेकर सरकार द्वारा दायर शपथपत्र पर सुनवाई की। कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद अपने 28 जून के निर्णय से यात्रा पर लगाई गई रोक को हटा ल‍िया है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 10:58 AM (IST) Updated:Fri, 17 Sep 2021 08:27 AM (IST)
Char Dham Yatra 2021 : चार धाम यात्रा से रोक हटी, आरटीपीसीआर रिपोर्ट और वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट जरूरी
Char Dham Yatra 2021 : चार धाम यात्रा से रोक हटी, आरटीपीसीआर रिपोर्ट और वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट जरूरी

जागरण संवाददाता, नैनीताल : Char Dham Yatra 2021 : हाई कोर्ट ने राज्य की प्रसिद्ध चारधाम यात्रा पर लगी रोक हटा ली है। साथ ही प्रतिबंधों के साथ यात्रा शुरू करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यात्रा मार्ग पर श्रद्धालुओं की सुविधा व सुरक्षा के लिए सरकार पुख्ता व्यवस्थाएं करे। किसी भी श्रद्धालु को चारधाम के कुंड में स्नान करने की अनुमति नहीं होगी। साथ ही हेलीकॉप्टर से यात्रा करने तथा सेवा कार्य करने वाले एनजीओ को जिलाधिकारी से अनुमति लेनी अनिवार्य होगी।

गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में यात्रा पर लगी रोक हटाने को लेकर दाखिल प्रार्थना पत्र पर सुनवाई हुई। सरकार की ओर से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर व मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने कोर्ट को बताया कि राज्य में कोविड संक्रमण के मामले नियंत्रण में हैं। यात्रा पर रोक से लाखों लोगों की आजीविका प्रभावित हुई है। प्रभावित परिवारों के सामने वित्तीय संकट की स्थिति पैदा हो गई है। उन्होंने यात्रा को लेकर सरकार की ओर से किए गए होमवर्क तथा व्यवस्थाओं की जानकारी की रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष रखी। कोर्ट ने सरकार के साथ ही याचिकाकर्ता दुष्यंत मैनाली, अनु पंत, रवींद्र जुगरान, डीके जोशी, सच्चिदानंद डबराल के अधिवक्ताओं अभिजय नेगी व शिव भट्ट का भी पक्ष सुना।

कोर्ट ने दिए अहम निर्देश

चारधाम यात्रा में प्रत्येक दिन बदरीनाथ धाम में 1000, केदारनाथ में 800, गंगोत्री में 600 तथा यमुनोत्री में 400 श्रद्धालुओं को ही अनुमति होगी। श्रद्धालुओं को आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट तथा जिनको वैक्सीन के दोनों डोज लग चुके हैं, उन्हें वेक्सीनेशन सर्टिफिकेट दिखाना हेागा। चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में यात्रा के दौरान जरुरत के मुताबिक पुलिस फोर्स लगाएं। सरकार चारों धामो में मेडिकल की पूर्ण सुविधा मुहैया कराए। जैसे मेडिकल स्टाफ, नर्स, डॉक्टर, आक्सीजन बेड व वेंटीलेटर आदि। यात्रा के दौरान सरकार मेडिकल हेल्पलाइन जारी करे, जिससे कि जरूरतमंदों को सुविधाओं के बारे में आसानी से पता चल सके। श्रद्धालुओं की कोविड व वैक्सीनेशन रिपोर्ट जांच के लिए चारों धामो में चेक पोस्ट बनाएं। बदरीनाथ में पांच व केदारनाथ में तीन चेक पोस्ट हों। भविष्य में अगर कोविड के केस बढ़ते हैं तो सरकार यात्रा को स्थगित कर सकती है। जहां-तहां थूकने पर प्रतिबंध लगाते हुए एंटी स्पीटिंग एक्ट को चारों धामो में प्रभावी किया जाए तीनों जिलों के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण यात्रा की मॉनिटरिंग करेंगे और उसकी रिपोर्ट हर सप्ताह कोर्ट में देंगे। जिलाधिकारी यात्रा को सफल बनाने के लिए स्थानीय लोगों व गैर सरकारी संगठनों की मदद ले सकते हैं लेकिन एनजीओ सही व जिम्मेदार होने चाहिए। चारधाम यात्रा मार्ग में जगह-जगह सुलभ शौचालय बनाए जाएं।

एसओपी पूर्ण नहीं

अधिवक्ता शिव भट्ट ने चारधाम में श्रद्धालुओं व यात्रियों की सुरक्षा संबंधी बिंदुओं को कोर्ट के समक्ष रखा। कहा कि सरकार की ओर से चारधाम के लिए जारी एसओपी में कमियां हैं। मेडिकल की सुविधा नहीं है। शौचालय नहीं हैं। एयर एम्बुलेंस, हेलीकॉप्टर आदि भी नहीं है।

सरकार व कारोबारियों को राहत

कोर्ट के यात्रा पर लगी रोक हटाने से प्रदेश सरकार के साथ ही अन्य हितधारकों को बड़ी राहत मिली है। पिछले दो साल से यात्रा नहीं होने से आजीविका के संकट से जूझ रहे हजारों व्यवसायियों व तीन जिलों की लाखोंकी आबादी के भी आर्थिक हित अब पटरी पर लौटने की उम्मीद जगी है। कोर्ट ने भी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि वर्ष में एक बार चारधाम यात्रा होती है और अक्टूबर में समाप्त हो जाती है। इसमें उस मार्ग में काम करने वाले व्यापारी व स्थानीय लोग यात्रा बंद होने के बाद बेरोजगार हो जाते हैं। उन लोगो की रोजी-रोटी खतरा और अधिक बढ़ जाता है।

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