सिर दर्द का इलाज कराने के बहाने पहचान छिपाकर 'बीमार' मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी का जायजा लेने पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री
चिकित्सा शिक्षा स्वास्थ्य व आपदा प्रबंधन मंत्री डा. धन सिंह रावत 23 अक्टूबर की रात मरीज बनकर अचानक शहर के अस्पतालों का निरीक्षण करने पहुंचे थे। उन्होंने बीमार डा. सुशीला तिवारी अस्पताल में किसी तरह की कमियां नजर नहीं आईं ।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ्य व आपदा प्रबंधन मंत्री डा. धन सिंह रावत 23 अक्टूबर की रात मरीज बनकर अचानक शहर के अस्पतालों का निरीक्षण करने पहुंचे थे। उन्होंने 'बीमार' डा. सुशीला तिवारी अस्पताल के हाल देखे। उपनल कर्मियों की 54 दिन की हड़ताल से यहां व्यवस्थाएं पूरी तरह चरमराई हुई हैं। मंत्री अस्पताल में करीब एक घंटे तक रहे, लेकिन उन्हें किसी तरह की कमियां नहीं दिखी।
सीएम पुष्कर सिंह धामी के साथ मंत्री धन सिंह भी कुमाऊं भ्रमण के बाद शाम पांच बजे हेलीकाप्टर से सर्किट हाउस गौलापार पहुंचे थे। वहां पर सीएम पुष्कर सिंह धामी की अधिकारियों के साथ हुई बैठक में शिरकत की। उसी रात में 9:30 बजे लाव-लश्कर छोड़ ट्रैक सूट पहन एसटीएच पहुंच गए। इमरजेंसी के बाहर काउंटर से पांच रुपये की पर्ची बनवाई। इस बीच वह करीब 20 मिनट मरीज बनकर बेंच पर बैठे रहे। फिर इमरजेंसी वार्ड में डाक्टर को दिखाया। सिर दर्द व बुखार की शिकायत बताई। फिर करीब 40 मिनट तक वार्डों में घूमते रहे। इस दौरान मास्क लगाए हुए कैबिनेट मंत्री को अस्पताल में किसी ने नहीं पहचाना। अस्पताल प्रशासन को भी भनक नहीं लगी। मंत्री ने अस्पताल में किसी तरह की कमी मिलने की बात नहीं बताई। हालांकि अस्पताल के 500 से अधिक उपनलकर्मी 55 दिन से हड़ताल पर हैं। इसमें ओटी टेक्क्नीशियन, स्टाफ नर्स, क्लर्क, वार्ड ब्वाय और पर्यावरण मित्र शामिल हैं। इसकी वजह से काम प्रभावित है।
गंदगी की वजह से मरीजों पर संक्रमण फैलने का खतरा है। इस डर से डाक्टर आपरेशन टाल रहे हैं। केवल इमरजेंसी आपरेशन ही हो रहे हैं। इसके बावजूद चिकित्सा शिक्षा मंत्री को अस्पताल में किसी तरह की कमी नहीं दिखाई दी। उसी रात को वह करीब 20 मिनट बेस अस्पताल में भी रहे। गुपचुप निरीक्षण को लेकर उनका कहना है, जो भी दिक्कतें हैं, उन्हें सुधारा जाएगा। आम मरीज के लिए जिस तरह की सुविधाओं की जरूरत है, उसे भी महसूस किया गया। इसके लिए उनकी सरकार प्रयासरत है। जल्द ही इस औचक निरीक्षण का परिणाम देखने को मिलेगा।
एसटीएच में ये बदहाली कब होगी दूर
- ओपीडी के मरीजों के लिए अल्ट्रासाउंड सेवा बंद है
- भर्ती मरीज भी अल्ट्रासाउंड के लिए बाहर जा रहे हैं
- खून की जांच को लेकर भी मरीज भटकने को मजबूर हैं
- तीमारदार ही स्ट्रेचर व व्हीलचेयर पर मरीज ले जाने को विवश
- वार्ड ब्वाय न होने से समय पर खून की जांच लैब तक नहीं पहुंच पा रही है
- 40 से अधिक मरीजों पर केवल एक स्टाफ नर्स तैनात है
- क्लर्क न होने से कार्यालय संबंधी कार्य पूरी तरह प्रभावित हैं
- वार्डों में समय पर दवाइयां नहीं पहुंच पा रही हैं
- रेडियोलाजस्टि विभाग में केवल एक डाक्टर तैनात हैं
चिकित्सा शिक्षा निदेशक को निर्देश
चिकित्सा शिक्षा मंत्री डा. रावत ने जागरण को फोन से बताया कि राज्य के तीनों मेडिकल कालेजों की यथास्थिति जानने के लिए चिकित्सा शिक्षा निदेशक को निर्देशित किया है। उन्हें तीनों मेडिकल कालेजों में एक रात विश्राम करने के साथ व्यवस्थाओं को परखने के लिए कहा गया है।