घने जंगलों के बीच मनमोह लेती है हरीशताल और लोखमताल झील की खूबसूरती...शासन को देना होगा ध्यान
नैनीताल जिले के ओखलकांडा ब्लॉक में घने जंगलों के बीच हरीशताल और लोखमताल की खूबसूरती देखते ही बनती है। लेकिन शासन-प्रशासन की उपेक्षा के कारण यहां तक कोई पक्की सड़क न होने के कारण पहुंचना आसान नहीं है।
भीमताल, जागरण संवाददाता : नैनीताल जिले के ओखलकांडा ब्लॉक में घने जंगलों के बीच हरीशताल और लोखमताल की खूबसूरती देखते ही बनती है। लेकिन शासन-प्रशासन की उपेक्षा के कारण यहां तक कोई पक्की सड़क न होने के कारण पहुंचना आसान नहीं है। वरना इस खूबसरत जगह को पर्यटन के लिहाल से विकसित किया जा सकता है। जंगलों के बीच घिरा यह ताल पर्यटकों को भी खूब भाता।
हरीशताल और उससे लगी लोखमताल झील आज तक पर्यटन के नक्शे पर अपनी पहचान नहीं बना पायी है। दुर्गम क्षेत्र और मार्ग न होने के कारण पर्यटक यहा तक पहुंच नहीं पाते हैं । लेकिन जो पहुंच जाते हैं उनको यहां की नैसर्गिक खूबसूरती मुग्ध कर देती है। ग्रामीण बताते हैं कि वर्ष 2004 में आपदा के समय लोखमताल झील का बंध टूट गया था, जिससे उसका जल स्तर पांच से छ मीटर नीचे पहुंच गया। तब से बांध के मरम्मत की मांग लगातार की जा रही है, लकिन 16 सालों में आज तक नहीं ठीक किया जा सका है। ग्रामीणों के मुताबिक झील की लंबाई चौड़ाई आज तक नहीं नापी गई है। कुमाऊं विश्वविद्यालय के शोध छात्रों के द्वारा इसकी गहराई वर्तमान में 18 मीटर बताई जाती है।
बैशाखी पूर्णिमा के दिन झील के किनारे बने लोखम भगवान के मंदिर परिसर में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। उस दिन श्रद्धालुओं की भरी भीड़ जुटती है। यदि इस झील और आसपास के स्थल में सुविधाओं को विकसित किया जाए तो यहां पर्यटन गतिविधियों की असीम संभावनाएं हैं। उत्तराखंड के पर्यटन मानचित्र पर ओखलनकांडा ब्लॉक को भी पहचान मिलेगी। सड़क के अभाव में बारिश के दिनों में यहां के ग्रामीणों को 12 किमी पैदल सफर करना पड़ता है।
विधायक राम सिंह कैड़ा ने बताया कि क्षेत्र वास्तव में प्राकृतिक सुंदरता से भरा हुआ है। यहां की झील धार्मिक महत्व के साथ-साथ बहुत खूबसूरत है। इस क्षेत्र में इन दिनों मोटर मार्ग निर्माण का कार्य चल रहा है। मोटर मार्ग के क्षेत्र में पहुंचने के बाद पर्यटन भी विकसित करने के प्रयास किए जाएंगे।